Gudi Padwa Puja Vidhi

Gudi Padwa Puja Vidhi

Gudi Padwa हिन्दुओ के त्योहारों में से एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है, यह त्यौहार देश के कई हिस्सों में कई नाम से मनाया जाता है, आइये आपको बताते है इस त्यौहार के बारे में सब कुछ और इस दिन क्या करे क्या नहीं।

Gudi Padwa का पौराणिक इतिहास

हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है जो चैत्र मां के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है यहां पर भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि के निर्माण और राजा साली वहां की विजय से जुड़ा है, माना जाता है की गुड़ी पड़वा के दिन भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना की थी और समय दिन सप्ताह महीने और वर्षों का आरंभ हुआ था यह अभी कहा जाता है कि राजा शालिवाहन  ने शकों पर विजय प्राप्त की थी और इस विजय की खुशी में शालिवाहन शक की शुरुआत हुई थी। कृष्ण भगवान राम ने रावण को हराकर अयोध्या में वापस की थी और उसे दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा थी इसलिए यह पर्व के रूप में भी मनाया जाता है

Gudi Padwa 2025 शुभ मुहूर्त और रीति रिवाज

मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक गुड़ी पड़वा का मुहूर्त 8 अप्रैल को रात 11:50 से 9 अप्रैल को रात 8:30 तक है घोड़े पड़वा में सभी सामग्री की पूजा विधि भी होती है और इस पूजा की जरूरत नहीं होती तेल से लेकर कपूर और घी और बाकी सभी चीजों तक उम्मीद है कि गुड्डी पड़ो बनाने वाले हैं हर घर में यह पूरी तरह उपयोग होगा गुड़ी पड़वा हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र महके सिलेबस की प्रतिपदा अतिथि 29 मार्च को शाम  4:27 आरंभ होगी और 30 मार्च को दोपहर 12:49 पर समाप्त होगी।

Gudi Padwa के दिन क्या करे और क्या है पूजा करने की विधि ? (Gudi Padwa Puja Vidhi)

Guddi Padva के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और नए कपड़े धारण करिए फिर आप सूर्य को अर्थ दीजिए और पूर्वजों का समझ कीजिए इसके बाद आप घरों को फॉलो और रंगोली से सजे घर के आगे एक कुड़ी ध्वज लगाए गुड़ी पड़वा के दिन आपको सरसों हार और झाड़ू जैसे रंगों की चमक शुभ मानी जाती है। एथेनिक वेयर में ऐसे सीट से सकारात्मक और समृद्धि का प्रतीक है जो पहनते में उत्सव का तत्व जोड़ते हैं। गुड़ी पड़वा के दिन पूजा करने से पहले हमेशा आसान बिछाए और आसान में बैठकर पूजा करें।

इसके साथ ही बिना सर ढके भी पूजा नहीं करनी चाहिए स्त्री हो या पुरुष पूजा करते समय हमेशा सिर्फ को दुपट्टे या फिर रुमाल से रखना चाहिए मारता है सर को ढके बिना पूजा करने से सारा लाभ और पुण्यफल आकाश में चला जाता है गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घरों के साफ-सफाई करते हैं और रंगोली और आम का अशोक के पत्तों से अपने घर में तोरण लगते हैं इस दिन घर के आगे एक झंडा लगाया जाता है जैसे बुद्धि कहते हैं और एक बर्तन में स्वास्थ्य बनाकर उसे पर राशन का कपड़ा लपेट कर रखा जाता है।

Gudi Padwa क्यों मनाते हैं और जानिए कारण ( Gudi Pawva kyu Manate hai )

Gudi Padwa kyu Manate hai, या सवाल अक्सर कई लोगो के मन में रहता है, आपको बताते चले यह त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है आर्य वसंत ऋतु की आगमन नई फसल पर विजय का प्रतीक है यह हिंदी में हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है जब चैत्रमास के शुक्ल पक्ष की तरह से शुरू होता है या बसंत ऋतु के आगमन का प्रत्येक है। जब प्रकृति में नई शुरुआत और जीवन की खुशी का संदेश लेकर आती है या नहीं फसल की खुशी और समृद्धि का प्रतीक है।

जो किसानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है या भगवान राम के रावण पर विजय और अयोध्या में उनके राज्याभिषेक का प्रतीक है कुछ लोग मानते हैं। कि इस दिन भगवान बनाने वाले सृष्टि का निर्माण किया था इसलिए यह दिन में आरंभ कब प्रतीक माना गया है शताब्दी में हूं को हराने के बाद शालिवाहन कैलेंडर की शुरुआत का स्मरण करता है।

Gudi Padwa  kyu Manate hai
Gudi Padwa kyu Manate hai

Gudi Padwa और उगादि में क्या अंतर है:

गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र में और उगादि आंध्र प्रदेश तेलंगाना और कर्नाटक में मनाया जाता है गुड़ी पड़वा में अच्छा विजय कथा का करने की परंपरा है जबकि उपाधि में उगादि पछाड़ी खाने के परंपरा है यह महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला हिंदू नव वर्ष का त्यौहार है पूरी का अर्थ है मुझे पता का और पड़वा का अर्थ चंद्रमा का पहला दिन मानता है। इस दिन भगवान रमन वर्मा की रचना की इस दिन लोगों ने कपड़े पहनते हैं और घरों को सजाते हैं और बुद्धि विजय पताका बनाते हैं बसंत ऋतु में उमंग और जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।

Gudi Pawva पर पारंपरिक राष्ट्रीय व्यंजन :

कुड़ी पड़वा पर महाराष्ट्र नव वर्ष पारंपरिक व्यंजनों में पूरनपोली अच्छा और चने की दाल से भारी रोटी श्रीखंड दही से बना मीठा और भरवी वांगी भरवा बैगन शामिल है। जो समृद्धि और खुशी का प्रतीक है इस दिन लोग स्वादिष्ट महाराष्ट्र में व्यंजन है जिसमें पके हुए चने की दाल और गुड़ के मसाले से बने स्वादिष्ट फीलिंग होती है जैसे नरम गेहूं और आटे में लपेटा जाता है, और दही से बना एक मलाई दश श्रीखंड मीठा व्यंजन है जो घोड़ी पड़वा के उत्साह के दौरान एक लोकप्रिय व्यंजन है।

गुड़ी पड़वा के दौरान अक्सर मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय व्यंजन है साबूदाना बड़ा या लोकप्रिय व्यंजन नमकीन नाग और जो गुड्डी के दौरान बनाया जाता है, मुंह तकिया मीठा व्यंजन है जो गुड़ी पड़वा के दौरान बनाया जाता है और गुड़ी पड़वा के दिन लोग नारियल के लड्डू भी बनाते हैं।

A view of sun set
Gudi Padwa kyu Manate hai

Gudi Padwa पर घर सजाने की आसान टिप्स:

गुड़ी पड़वा किन दिन लोग अपने घर के साफ सफाई करते हैं और घर के ऊपर गोरी लगते हैं, इस दिन छड़ी के ऊपरी हिस्से को फूलों की माला नाम और आम के पत्तों की गुच्छों से सजाता है फिर मन की छड़ी को तांबे चांदी आप कहां से के कलर से अपवर्तन से सजाया जाता है। इन झंडू को पेड़ों छात्रों में खिड़कियों पर लटकाया जाता है, जो सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है और फिर ऊपर एक उल्टा कलर लगाया जाता है।

Gudi Padwa पर शुभकामनाएं और संदेश

गुड्डी पर्वत पर लोग एक नई शुरुआत करते हैं नए आशीर्वाद और सुख अक्षर का आपका इंतजार कर रहे हैं आपका घर सकारात्मक के प्रकाश और एक जूता की गर्मजोशी से भरा रहे इस बार थोड़ी आपके जीवन परिवार के लिए आनंद खुशियां समिति और अच्छा स्वास्थ्य लेकर आए आपको प्यार हंसी और घर पर सफलता से भरा एक साल की शुभकामनाएं प्रदान करें।

गुड्डी फहराने का महत्व और वैज्ञानिक कारण:

गुड़ी पड़वा पर पृथ्वी की दूरी इस तरह झुकी होती है कि उत्तरी गोलार्ध को स्वर्ग की सबसे अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है उच्च तापमान के कारण मनुष्य के लिए थोड़ी परेशानी हो सकते हैं लेकिन पृथ्वी चार्ज हो जाते हैं गुड़ी पड़वा समय की शुरुआत का प्रतिनिधित्व करता है और व्यक्त के जीवन को उत्सव धार्मिक ऊर्जा के साथ जोड़ता है जिससे सद्भावना और संतोष मिलता है इसके अतिरिक्त इस त्यौहार का ऐतिहासिक महत्व भी है जो रामराज्य की शुरुआत का प्रतीक है।

Gudi Padwa भारत में कहां-कहां मनाया जाता है?

गुड़ी पड़वा मुख्य रूप से महाराष्ट्र में लेकिन आंध्र प्रदेश तेलंगाना और कर्नाटक में भी उगादि के नाम से जाना जाता है, जो हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश और तेलंगाना कर्नाटक तमिलनाडु असम पंजाब उड़ीसा पश्चिम बंगाल आगे राज्यों में मनाया जाता है।

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