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SpaDeX Docking Mission
SpaDeX Docking Missiong: भारत ने अंतरिक्ष तकनीक में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। इसरो के SpaDeX Docking Missiong (SpaDeX) मिशन के तहत दो उपग्रहों को 3 मीटर तक करीब लाने का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इन उपग्रहों, एसडीएक्स 01 (चेजर) और एसडीएक्स 02 (टारगेट), ने एक-दूसरे की तस्वीरें और वीडियो भी रिकॉर्ड किए। इस परीक्षण का उद्देश्य भविष्य में भारत की अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक को मजबूत करना है।
15 और 3 मीटर की दूरी पर परीक्षण
इसरो के वैज्ञानिकों ने पहले उपग्रहों को 15 मीटर की दूरी पर रखा और फिर 3 मीटर तक करीब लाकर ट्रायल किया। इसके बाद, दोनों को सुरक्षित दूरी पर वापस ले जाया गया। इसरो ने बताया कि उपग्रहों की स्थिति सामान्य है और उनकी तकनीकी क्षमताओं का विश्लेषण जारी है।
इसरो ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “अब हम डॉकिंग के लिए सिर्फ 50 फीट की दूरी पर हैं। उपग्रहों ने एक-दूसरे की स्पष्ट तस्वीरें ली हैं और प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की तैयारी जारी है।”
SpaDeX Docking Update:
A trial attempt to reach up to 15 m and further to 3 m is done.
Moving back spacecrafts to safe distance
The docking process will be done after analysing data further.
Stay tuned for updates.#SpaDeX #ISRO
— ISRO (@isro) January 12, 2025
मिशन की शुरुआत
SpaDeX Docking Mission 30 दिसंबर 2024 को लॉन्च हुआ था। पीएसएलवी सी60 रॉकेट ने दो छोटे उपग्रहों और 24 अन्य पेलोड्स को लेकर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। उपग्रहों का वजन लगभग 220 किलोग्राम है और उन्हें 475 किलोमीटर ऊंचाई की कक्षा में स्थापित किया गया।
डॉकिंग तकनीक क्यों महत्वपूर्ण है?
Docking प्रक्रिया में दो उपग्रहों को एक विशेष तकनीक से जोड़ना शामिल होता है, जो अत्यधिक सटीकता और तकनीकी कुशलता की मांग करती है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
यह तकनीक भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर मानव मिशन जैसे कार्यक्रमों के लिए आधारशिला साबित होगी। इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने कहा, “यह प्रयास भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।”
भविष्य की दिशा
परीक्षण के दौरान एकत्रित डेटा का गहन विश्लेषण किया जा रहा है। इसके आधार पर अगली डॉकिंग प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा। इस मिशन के सफल होने पर भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया अध्याय जुड़ेगा।
इसरो का SpaDeX Docking Mission भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में और अधिक सक्षम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसकी सफलता न केवल भारत की वैश्विक पहचान को मजबूत करेगी, बल्कि अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता की ओर भी ले जाएगी।
FAQs
स्पैडेक्स मिशन क्या है?
स्पैडेक्स मिशन इसरो का एक खास प्रोजेक्ट है, जिसमें दो उपग्रहों को जोड़ने की तकनीक पर काम किया जा रहा है।
इस मिशन का मकसद क्या है?
इस मिशन का मकसद भारत को अंतरिक्ष में खुद पर निर्भर बनाना है।
स्पैडेक्स मिशन कब शुरू हुआ?
यह मिशन 30 दिसंबर 2024 को लॉन्च किया गया।
डॉकिंग तकनीक क्यों जरूरी है?
यह तकनीक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने, अनुसंधान के काम और इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए जरूरी है।
इसरो ने अब तक क्या हासिल किया?
इसरो ने उपग्रहों को 3 मीटर तक पास लाने और उनकी तस्वीरें लेने में सफलता पाई है।
आगे इस मिशन से क्या फायदा होगा?
यह मिशन भारत को चांद, मंगल और अंतरिक्ष स्टेशन जैसे बड़े कामों के लिए तैयार करेगा।
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