Ravichandran Ashwin Retirement: भारतीय क्रिकेट के महान स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने 18 दिसंबर 2024 को अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर से संन्यास लेने की घोषणा की। उनका यह फैसला क्रिकेट जगत और खासकर भारतीय क्रिकेट के प्रशंसकों के लिए एक बड़ा सदमा था। उन्होंने गाबा टेस्ट के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की, जिसमें भारतीय कप्तान रोहित शर्मा भी उनके साथ मौजूद थे। इस लेख में हम अश्विन के शानदार करियर, उनके योगदान, और संन्यास के बाद के प्रभाव पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।
Ravichandran Ashwin Retirement: करियर
रविचंद्रन अश्विन ने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में कदम रखा था और मात्र कुछ ही मैचों में अपनी शानदार गेंदबाजी का लोहा मनवाया। अश्विन की गेंदबाजी का जादू उनके पहले ही टेस्ट मैच से दिखने लगा। उन्होंने अपने करियर में कुल 106 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 537 विकेट झटके। वह भारत के सबसे सफल टेस्ट गेंदबाजों में दूसरे नंबर पर हैं, सिर्फ अनिल कुंबले (619 विकेट) के पीछे। अश्विन की गेंदबाजी शैली और रणनीति ने उन्हें विश्व क्रिकेट के सबसे प्रभावशाली स्पिनरों में से एक बना दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी ऑलराउंड क्षमता से भी भारतीय टीम को कई जीत दिलाई। वह सिर्फ एक उत्कृष्ट गेंदबाज ही नहीं, बल्कि एक शानदार बल्लेबाज भी रहे हैं, जिन्होंने 3503 रन बनाए, जिसमें 6 शतक भी शामिल हैं।
Ravichandran Ashwin Retirement: रिकॉर्ड्स और उपलब्धियाँ
अश्विन ने अपने करियर में कई रिकॉर्ड्स बनाए, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:
गेंदबाज | 5 विकेट हॉल |
---|---|
मुथैया मुरलीधरन | 67 |
रविचंद्रन अश्विन | 37 |
शेन वॉर्न | 37 |
सर रिचर्ड हैडली | 36 |
अनिल कुंबले | 35 |
अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में 37 बार एक पारी में 5 विकेट लिए, जो भारतीय क्रिकेट में किसी भी गेंदबाज द्वारा सबसे ज्यादा है। वह बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ सबसे अधिक सफल रहे हैं, उन्होंने कुल 268 बाएं हाथ के बल्लेबाजों को आउट किया। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो उनकी गेंदबाजी के विविधतापूर्ण कौशल को दर्शाती है।
Ravichandran Ashwin Retirement: घरेलू मैदान पर दबदबा
अश्विन का प्रदर्शन भारत में काफी शानदार रहा है। उन्होंने 65 टेस्ट मैचों में 383 विकेट हासिल किए। इसके अलावा, उन्होंने 13 टेस्ट मैचों में 82 विकेट लेकर एक सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड भी बनाया। इन आंकड़ों से साफ है कि अश्विन ने भारतीय क्रिकेट के लिए अपनी भूमिका को बखूबी निभाया। अश्विन के घरेलू मैदान पर प्रदर्शन को देखकर यह कहा जा सकता है कि उन्होंने भारत को अपने स्पिन गेंदबाजी से क्रिकेट की दुनिया में श्रेष्ठता दिलाई। उनके और रवींद्र जडेजा के बीच 58 टेस्ट मैचों में 587 विकेट लेने की साझेदारी एक और ऐतिहासिक रिकॉर्ड है।
संन्यास की घोषणा और इसके प्रभाव
अश्विन का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेना भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा मोड़ है। गाबा टेस्ट के बाद, अश्विन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की। उन्होंने कहा,
“मेरा समय अब समाप्त हो गया है। इस यात्रा के दौरान मैंने जो अनुभव हासिल किए, वे मेरे लिए अनमोल हैं।”
उनके इस फैसले से भारतीय क्रिकेट की ताकत और उनकी महत्वता का अहसास होता है। अश्विन का संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक खालीपन छोड़कर जाता है, जिसे फिल करना किसी भी युवा गेंदबाज के लिए आसान नहीं होगा।
रोहित शर्मा, जो कि अश्विन के साथ कई वर्षों तक खेले, ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखते हुए कहा:
“हमने इतने सालों तक साथ खेला है, और बहुत सी यादें बनाई हैं। अश्विन की जगह किसी भी खिलाड़ी के लिए भरना आसान नहीं होगा।”
वहीं, रवि शास्त्री, जो भारतीय टीम के पूर्व कोच हैं, ने कहा कि अश्विन का संन्यास उन्हें महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास की याद दिलाता है। उन्होंने कहा:
“अश्विन ने भी धोनी की तरह बिना किसी दिखावे के, सिर्फ पाँच मिनट में अपनी बात रखी और क्रिकेट से अलविदा ले लिया।”
अश्विन की विरासत और भविष्य
अश्विन का करियर भारतीय क्रिकेट के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। उन्होंने अपनी गेंदबाजी और बल्लेबाजी से भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाई पर पहुँचाया। उनका संन्यास भारतीय क्रिकेट में एक युग का अंत है, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। अब, भारतीय क्रिकेट के सामने चुनौती होगी कि वह अश्विन की कमी को कैसे पूरा करेगा। कई युवा स्पिन गेंदबाज इस स्थिति में खुद को साबित करने के लिए तैयार हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाता है। रविचंद्रन अश्विन का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने अपने शानदार करियर में अनगिनत रिकॉर्ड्स और उपलब्धियों के साथ भारतीय क्रिकेट को गौरव दिलाया। उनका करियर न केवल भारतीय क्रिकेट का एक अहम हिस्सा था, बल्कि वह अपने खेल और प्रतिबद्धता से विश्व क्रिकेट में एक उदाहरण बने।
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