
राजस्थान सरकार ने 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म किया, नया प्रशासनिक ढांचा
राजस्थान सरकार ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत राज्य के प्रशासनिक ढांचे में कई बदलाव किए गए हैं। इस फैसले के तहत 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म कर दिया गया है। इससे राज्य में कुल जिलों की संख्या 50 से घटकर 41 हो जाएगी और संभागों की संख्या 10 से घटकर 7 रह जाएगी। आइए जानते हैं इस फैसले के बारे में विस्तार से।
गहलोत सरकार में बनाए गए राजस्थान प्रशासनिक ढांचे जिलों को खत्म किया गया
अगस्त 2023 में, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव करते हुए 19 नए जिले और 3 नए संभाग बनाए थे। लेकिन अब भजनलाल सरकार ने इन्हें खत्म करने का फैसला लिया है। सरकार का कहना है कि यह कदम प्रशासनिक समस्याओं को हल करने और संसाधनों का सही इस्तेमाल करने के लिए उठाया गया है।
राजस्थान प्रशासनिक ढांचे निरस्त किए गए जिले
भजनलाल सरकार ने जो 9 जिले खत्म किए हैं, वे निम्नलिखित हैं:
- दूदू
- केकड़ी
- शाहपुरा
- नीमकाथाना
- गंगापुरसिटी
- जयपुर ग्रामीण
- जोधपुर ग्रामीण
- अनूपगढ़
- सांचौर
इन जिलों में प्रशासनिक समस्याएं थीं, जैसे कि जरूरी कार्यालयों की कमी और प्रशासनिक कामकाज की व्यवस्था में खामी। इसलिए इन्हें खत्म करने का फैसला लिया गया।
निरस्त किए गए संभाग
इसके अलावा, 3 नए संभाग भी खत्म किए गए हैं, जो थे:
- सीकर
- पाली
- बांसवाड़ा
इन संभागों को खत्म कर दिया गया क्योंकि इनकी प्रशासनिक स्थिति भी ठीक नहीं थी और संसाधनों का सही तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा था।
जो जिले रहेंगे
गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए कुछ जिले अब भी यथावत रहेंगे। ये जिले हैं:
- बालोतरा
- ब्यावर
- डीग
- डीडवाना-कुचामन
- कोटपुतली-बहरोड़
- खैरथल-तिजारा
- फलौदी
- सलूंबर
इन जिलों में प्रशासनिक व्यवस्था अच्छी थी, इसलिए इन्हें बरकरार रखा गया।
राज्य में अब कितने जिले और संभाग होंगे
राजस्थान में अब कुल 41 जिले और 7 संभाग होंगे। गहलोत सरकार के दौरान 19 नए जिलों का गठन किया गया था, जिनमें से 9 जिलों को खत्म किया गया है। इस फैसले से राज्य की प्रशासनिक स्थिति में सुधार आएगा और संसाधनों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल हो सकेगा।
राजस्थान प्रशासनिक ढांचे पर राजनीतिक स्थिति
राजस्थान में यह निर्णय राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जिलें और संभाग गहलोत सरकार के समय बनाए गए थे। विपक्ष इसे राजनीतिक कदम मान सकता है। हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि यह प्रशासनिक दृष्टि से सही फैसला है, और इसे राज्य के हित में लिया गया है।
आगे की योजना
राजस्थान सरकार ने यह भी घोषणा की है कि खाद्य सुरक्षा योजना में नए लोगों को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, CET (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) के स्कोर को तीन साल तक मान्य रखा जाएगा, जिससे छात्रों को राहत मिलेगी और वे प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी बेहतर तरीके से कर सकेंगे।
राजस्थान सरकार का यह कदम राज्य के प्रशासनिक ढांचे को बेहतर और मजबूत बनाने के लिए उठाया गया है। हालांकि, इस फैसले से कुछ क्षेत्रों में असंतोष हो सकता है, खासकर उन जिलों के निवासियों में जो नए जिले बनने की उम्मीद कर रहे थे। फिर भी, यह कदम राज्य की व्यवस्था को सही दिशा में ले जाने के लिए जरूरी था। अब यह देखना होगा कि इस फैसले का जनता पर क्या असर पड़ता है और सरकार इसे कैसे लागू करती है।
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