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Navya Haridas: बीजेपी की 39 वर्षीय उम्मीदवार, वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। केरल में एक पार्षद रह चुकीं नाव्या का राजनीति में लंबा अनुभव है। बी.टेक ग्रेजुएट नाव्या, बीजेपी महिला मोर्चा की राज्य महासचिव भी हैं। वायनाड की यह चुनावी जंग कांग्रेस और बीजेपी के बीच साख की लड़ाई है, जहां दोनों पार्टियों ने अपने दांव खेले हैं। क्या नाव्या हरिदास वायनाड की राजनीति में बदलाव ला पाएंगी?

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Navya Haridas: वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी को चुनौती देने वाली बीजेपी की उम्मीदवार

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2024 के वायनाड लोकसभा उपचुनाव के लिए नाव्या हरिदास को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। यह चुनावी मुकाबला विशेष रूप से दिलचस्प हो गया है, क्योंकि कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी मैदान में उतर रही हैं। प्रियंका गांधी का यह चुनावी पदार्पण है और राहुल गांधी के रायबरेली सीट रखने के बाद वायनाड सीट खाली हुई थी। इसके साथ ही, वामपंथी उम्मीदवार सत्यन मोकेरी भी चुनावी जंग में हैं, जिससे यह त्रिकोणीय मुकाबला बन गया है। अब सवाल यह है कि नाव्या हरिदास कौन हैं और उनकी राजनीतिक यात्रा किस दिशा में जा रही है?

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कौन हैं नाव्या हरिदास?

नाव्या हरिदास, जो वर्तमान में 39 वर्ष की हैं, पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और कोझिकोड नगर निगम में पार्षद भी रह चुकी हैं। उन्होंने 2007 में केएमसीटी इंजीनियरिंग कॉलेज, कालीकट विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री प्राप्त की थी। इसके साथ ही, वे बीजेपी महिला मोर्चा की राज्य महासचिव के रूप में कार्यरत हैं। उनकी राजनीतिक सक्रियता और सामाजिक कार्यों के कारण वे केरल में एक जानी-मानी हस्ती बन गई हैं।

इसके अतिरिक्त, नाव्या का अनुभव स्थानीय शासन में भी है, जो उन्हें वायनाड के लोगों के बीच एक मजबूत और विश्वसनीय उम्मीदवार के रूप में स्थापित करता है। इससे पहले, वे 2021 के केरल विधानसभा चुनाव में भी कोझिकोड दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ी थीं, हालांकि उन्हें उस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। फिर भी, इस चुनाव ने उन्हें राजनीतिक अनुभव और लोगों से जुड़े रहने का अवसर प्रदान किया।

Navya Haridas: प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

विवरण

जानकारी

पूरा नाम नाव्या हरिदास
जन्म 1985
उम्र 39 वर्ष (2024 तक)
पति का नाम शोभिन श्याम
शिक्षा बी.टेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
कॉलेज केएमसीटी इंजीनियरिंग कॉलेज, कालीकट विश्वविद्यालय
स्नातक वर्ष 2007
पेशा सॉफ्टवेयर इंजीनियर
राजनीतिक शुरुआत कोझिकोड नगर निगम में पार्षद

नाव्या हरिदास का जन्म 1985 में हुआ था और उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के बाद कालीकट विश्वविद्यालय के केएमसीटी इंजीनियरिंग कॉलेज से 2007 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल की। उनकी शिक्षा ने उन्हें तकनीकी दृष्टिकोण और समस्या समाधान की गहरी समझ दी, जो उनके राजनीतिक जीवन में भी काम आई।

Navya Haridas: राजनीतिक सफर

अगर हम नाव्या हरिदास के राजनीतिक सफर पर नजर डालें, तो यह स्पष्ट होता है कि उनकी यात्रा संघर्षों और उपलब्धियों से भरी हुई है। 2021 में उन्होंने कोझिकोड दक्षिण विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जहां उन्हें 24,873 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहीं। उस समय इंडियन नेशनल लीग के उम्मीदवार अहमद देवरकोविल ने चुनाव जीता था, और नाव्या के लिए यह चुनावी हार एक बड़ा सबक था। हालांकि, इस हार ने उनके राजनीतिक करियर को खत्म नहीं किया, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने और और मजबूत बनने का अवसर दिया।

इसके अलावा, नाव्या का राजनीतिक जीवन उनकी साफ-सुथरी छवि के कारण भी महत्वपूर्ण है। उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, जिससे उनका नैतिक और ईमानदार नेतृत्व और भी प्रबल होता है। यह उनकी राजनीतिक छवि के लिए एक बड़ा प्लस पॉइंट है, खासकर ऐसे समय में जब राजनीति में नैतिकता और ईमानदारी की बात होती है।

Navya Haridas: बीजेपी का रणनीतिक दांव

बीजेपी का नाव्या हरिदास को वायनाड से प्रियंका गांधी के खिलाफ उतारना एक सोच-समझा और रणनीतिक कदम है। प्रियंका गांधी वाड्रा का चुनावी पदार्पण इस चुनाव को पहले ही उच्च स्तरीय बना चुका है। वायनाड कांग्रेस का गढ़ माना जाता है और राहुल गांधी के यहां से सांसद चुने जाने के बाद इस सीट का महत्व और भी बढ़ गया है। ऐसे में बीजेपी ने नाव्या हरिदास जैसी एक महिला और युवा उम्मीदवार को मैदान में उतारकर यह संकेत दिया है कि वे नए चेहरों को आगे लाकर राज्य की राजनीति में नई जान फूंकना चाहती है।

इसके अलावा, बीजेपी की रणनीति महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की है, और नाव्या हरिदास इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बीजेपी की कोशिश है कि केरल में जहां उनकी पकड़ कमजोर है, वहां नाव्या जैसे उम्मीदवारों के माध्यम से अपनी स्थिति मजबूत की जा सके। यह उपचुनाव बीजेपी के लिए राज्य में अपने पैर जमाने का एक सुनहरा अवसर हो सकता है।

Navya Haridas: प्रियंका गांधी वाड्रा बनाम नाव्या हरिदास

यह चुनावी मुकाबला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रियंका गांधी वाड्रा, जो गांधी परिवार की सदस्य हैं, कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार हैं। प्रियंका का नाम और उनका राजनीतिक वंशावली कांग्रेस के लिए एक मजबूत समर्थन है। इस सीट पर प्रियंका गांधी का खड़ा होना कांग्रेस के लिए एक रणनीतिक कदम है, जो इस बात का संकेत है कि कांग्रेस यहां अपनी पकड़ नहीं छोड़ना चाहती।

दूसरी ओर, नाव्या हरिदास का फोकस क्षेत्रीय विकास और स्थानीय मुद्दों पर रहेगा। नाव्या हरिदास अपने चुनावी अभियान में यह बात उठा रही हैं कि कांग्रेस ने वायनाड के विकास के लिए कुछ खास नहीं किया है। उनका चुनावी एजेंडा क्षेत्रीय विकास, रोजगार के अवसर बढ़ाने और बुनियादी ढांचे को सुधारने पर केंद्रित है। इससे उनके पास उन मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का मौका है जो क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देते हैं।

Navya Haridas: वायनाड सीट का राजनीतिक महत्व

वायनाड सीट का राजनीतिक महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह सीट कांग्रेस के गढ़ के रूप में जानी जाती है। राहुल गांधी के यहां से सांसद बनने के बाद इस सीट का महत्व और बढ़ गया है। इस सीट पर प्रियंका गांधी वाड्रा का चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए एक बड़ी बात है, और यह चुनावी संघर्ष कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है। वहीं, बीजेपी के लिए यह चुनावी मुकाबला एक अवसर है। वायनाड में अगर बीजेपी जीत हासिल करती है, तो यह केरल में पार्टी की उपस्थिति को और मजबूती देगा। इस सीट पर जीत या हार बीजेपी की रणनीति और चुनावी प्रबंधन की एक परीक्षा भी होगी।

Navya Haridas: चुनावी रणनीति

नाव्या हरिदास की चुनावी रणनीति मुख्य रूप से स्थानीय मुद्दों और क्षेत्रीय विकास पर आधारित होगी। उनके अभियान में उन समस्याओं को प्रमुखता से उठाया जाएगा जो वायनाड के लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं, जैसे बुनियादी ढांचा, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं। नाव्या यह भी दावा कर रही हैं कि कांग्रेस ने क्षेत्रीय विकास में कमी की है, और बीजेपी इस कमी को पूरा कर सकती है। इसके अलावा, नाव्या हरिदास की महिला नेतृत्व की छवि और दलित मुद्दों पर उनके सक्रिय योगदान से उन्हें एक मजबूत जनाधार प्राप्त हो सकता है। यह बीजेपी की महिला सशक्तिकरण की नीति को भी दर्शाता है, जो उन्हें मतदाताओं के बीच एक अलग पहचान दिला सकता है।

वायनाड उपचुनाव सिर्फ एक चुनावी मुकाबला नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस और बीजेपी के लिए एक प्रतिष्ठा की लड़ाई भी है। प्रियंका गांधी वाड्रा का राजनीतिक पदार्पण और नाव्या हरिदास की उभरती राजनीतिक छवि इस चुनाव को और भी महत्वपूर्ण बना देती है। नाव्या हरिदास के पास स्थानीय अनुभव और लोगों से जुड़ने की क्षमता है, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा का राजनीतिक कद और कांग्रेस का गढ़ होने के नाते यह चुनावी संघर्ष और भी दिलचस्प हो गया है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नाव्या हरिदास अपनी चुनावी रणनीति से प्रियंका गांधी वाड्रा को चुनौती दे पाती हैं या कांग्रेस इस महत्वपूर्ण सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखती है।

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By Aman Mark

Sports news writer and reviewer.

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