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संत रविदास जी: जीवन परिचय और समाज सुधार में योगदान

संत रविदास जी: जीवन परिचय और समाज सुधार में योगदान

संत रविदास जी भारतीय भक्ति आंदोलन के महान संत, कवि, समाज सुधारक और ईश्वर भक्त थे। उन्होंने अपनी रचनाओं और शिक्षाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त छुआछूत, जातिवाद और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाई। उनकी रचनाएँ आज भी समाज को एकता, प्रेम और समभाव का संदेश देती हैं।

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नाम: [संत शिरोमणि सतगुरु श्री रविदास जी महाराज]

जन्म स्थान: [1388 वाराणसी, (दिल्ली सल्तनत)]

माता-पिता: [संतोख दास जी, कर्मा देवी जी]

जन्म और प्रारंभिक जीवन

संत रविदास जी का जन्म 15वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के गोवर्धनपुर गाँव में हुआ था। वे चर्मकार जाति से थे और उनके माता-पिता का नाम श्रीमती कर्मा देवी और श्री संतोख दास जी था। संत रविदास का बचपन धार्मिक प्रवृत्ति वाला था, और उन्होंने समाज में फैली बुराइयों को बहुत करीब से देखा।

समाज सुधार में योगदान

संत रविदास जी ने सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान दिए:

  1. जातिवाद के विरोधी – उन्होंने सभी को समान बताया और जात-पात को समाज के लिए बाधक माना।
  2. भक्ति आंदोलन – उन्होंने भक्ति मार्ग को अपनाकर समाज में प्रेम, समानता और भाईचारे की भावना का प्रचार किया।
  3. छुआछूत का विरोध – उन्होंने कहा कि सभी मनुष्य एक समान हैं और ईश्वर के लिए जात-पात कोई मायने नहीं रखता।
  4. संतों और भक्तों से संपर्क – उनका संबंध मीरा बाई, गुरु नानक देव जी और अन्य महान संतों से रहा।

संत रविदास जी के प्रमुख विचार

संत रविदास जी ने अपने दोहों और पदों के माध्यम से समाज को जागरूक किया। उनके कुछ प्रमुख विचार इस प्रकार हैं:

  • “मन चंगा तो कठौती में गंगा।”
  • “जाति-पाति पूछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि का होई।”
  • “ऐसा चाहूँ राज मैं, जहाँ मिले सबन को अन्न।”

संत रविदास जी की रचनाएँ

उनकी रचनाएँ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी संकलित हैं। वे सरल भाषा में भक्ति और समाज सुधार के संदेश देते थे, जिससे उनकी वाणी जन-जन तक पहुँची।

महापरिनिर्वाण

संत रविदास जी का देहावसान 16वीं शताब्दी में हुआ, लेकिन उनके विचार और शिक्षाएँ आज भी लोगों को प्रेरित कर रही हैं। संत रविदास जी ने समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए अनेक प्रयास किए। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएँ आज भी हमें प्रेरित करती हैं। उनकी भक्ति और सुधारवादी विचारधारा ने समाज में नई चेतना जाग्रत की और उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक बनी हुई हैं।

QNA:

प्रश्न 1: संत रविदास जी का पूरा नाम क्या था?

उत्तर: संत रविदास जी का पूरा नाम गुरु रविदास था।

प्रश्न 2: संत रविदास जी के माता-पिता का क्या नाम था?

उत्तर: उनके पिता का नाम संतोख दास जी और माता का नाम कर्मा देवी जी था।

प्रश्न 3: संत रविदास जी का जन्म कब और कहां हुआ था?

उत्तर: संत रविदास जी का जन्म 15वीं शताब्दी में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

प्रश्न 4: संत रविदास जी का प्रमुख संदेश क्या था?

उत्तर: संत रविदास जी ने भक्ति, समानता, प्रेम, जातिवाद विरोध, और आध्यात्मिक मुक्ति का संदेश दिया।

प्रश्न 5: संत रविदास जी के प्रमुख ग्रंथ कौन-कौन से हैं?

उत्तर: उनके उपदेश गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं और उनके दोहे तथा पद बहुत प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 6: संत रविदास जी किस भक्ति आंदोलन से जुड़े थे?

उत्तर: वे निर्गुण भक्ति आंदोलन से जुड़े थे और समाज में समरसता लाने का प्रयास किया।

प्रश्न 7: संत रविदास जी का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: उन्होंने जात-पात और भेदभाव का विरोध किया, जिससे समाज में समानता और भाईचारे की भावना मजबूत हुई।

प्रश्न 8: संत रविदास जी की प्रसिद्ध रचनाएं कौन-कौन सी हैं?

उत्तर: उनके लिखे दोहे और पद प्रसिद्ध हैं, जैसे –
“मन चंगा तो कठौती में गंगा।”

प्रश्न 9: संत रविदास जी का प्रमुख भक्त कौन था?

उत्तर: मीराबाई उनकी भक्त थीं, जो उनकी शिक्षाओं से बहुत प्रभावित थीं।

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