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मुकेश चंद्राकर: सच्चाई दिखाई तो ठेकेदार ले ली जान, घर के सेप्टिक टैंक में मुकेश का छिपाया शव

मुकेश चंद्राकर: सच्चाई दिखाई तो ठेकेदार ले ली जान, घर के सेप्टिक टैंक में मुकेश का छिपाया शव

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में सच्चाई को उजागर करने वाले निडर पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। उनकी हत्या ने पत्रकारिता के सामने मौजूद खतरों और चुनौतियों को एक बार फिर उजागर कर दिया है।

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लापता होने से हत्या तक का घटना

मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी की रात अचानक लापता हो गए। उनका शव कुछ दिनों बाद बीजापुर के चट्टानपारा में एक नवनिर्मित सेप्टिक टैंक में मिला। उनके सिर पर धारदार हथियार से किए गए हमले के निशान थे, जो हत्या को दर्शता  हैं।

पुलिस जांच में मिले अहम सुराग

पुलिस ने इस मामले की गहराई से जांच शुरू की और रायपुर में कुछ महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे। जांच के दौरान पता चला कि ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के घर के सेप्टिक टैंक में मुकेश का शव छिपाया गया था। सुरेश के छोटे भाई रितेश चंद्राकर की कार रायपुर एयरपोर्ट पर मिली, और वह 2 जनवरी को दिल्ली भाग चुका था। फिलहाल, पुलिस दिल्ली में उसकी तलाश कर रही है।

भ्रष्टाचार का संभावित कारण

प्रारंभिक जांच से यह संकेत मिला है कि मुकेश का विवाद सड़क निर्माण से जुड़े भ्रष्टाचार को लेकर हुआ था। यह विवाद उनकी हत्या का मुख्य कारण माना जा रहा है। पुलिस इस एंगल से गहराई से जांच कर रही है।

मुख्यमंत्री और पत्रकार समुदाय की प्रतिक्रिया

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और दोषियों को जल्द पकड़ने का निर्देश दिया। इस हत्या ने पत्रकार समुदाय को गुस्से से भर दिया है। बस्तर और पूरे प्रदेश के पत्रकारों ने दोषियों को सख्त सजा देने और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

मुकेश चंद्राकर का साहसी करियर

मुकेश चंद्राकर बस्तर के साहसी और प्रतिबद्ध पत्रकारों में से एक थे। उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों में निडर होकर रिपोर्टिंग की। उनका यूट्यूब चैनल ‘बस्तर जंक्शन’ बेहद लोकप्रिय था, जिसमें वे नक्सली गतिविधियों, जन अदालतों, और ग्रामीण क्षेत्रों की सच्चाई को सामने लाते थे।

मुकेश ने कई बार अपनी जान जोखिम में डालकर माओवाद प्रभावित क्षेत्रों की सच्चाई को उजागर किया। उनकी रिपोर्टिंग ने न केवल प्रशासन का ध्यान इन समस्याओं की ओर आकर्षित किया, बल्कि आम जनता को भी उन क्षेत्रों के हालात से अवगत कराया।

उनकी पत्रकारिता के दौरान एक महत्वपूर्ण घटना माओवादियों द्वारा अपहृत डीआरजी जवान की सुरक्षित रिहाई थी, जिसमें उन्होंने अहम भूमिका निभाई।

परिवार और पुलिस की कोशिशें

मुकेश के लापता होने के बाद उनके भाई युकेश चंद्राकर ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर उनकी तलाश की और ठेकेदार के घर से उनका शव बरामद किया।

आगे की कार्रवाई

पुलिस ने एडिशनल एसपी के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया है। उम्मीद है कि जल्द ही मामले के दोषियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

पत्रकारिता और सुरक्षा पर सवाल

मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह घटना दिखाती है कि सच्चाई की आवाज को दबाने की कोशिशें कितनी घातक हो सकती हैं।

मुकेश चंद्राकर का बलिदान पत्रकारिता के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके साहस और सच्चाई के प्रति समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा।

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