Vishwakarma Puja हर साल 17 या 18 सितंबर को ‘कन्या संक्रांति’ पर मनाई जाती है। यह उत्सव सृष्टि के निर्माता और देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, विशेष रूप से औद्योगिक और निर्माण कार्यों से जुड़े लोग इसे श्रद्धा से मनाते हैं।

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Vishwakarma Puja: सृजन और निर्माण के देवता का उत्सव

श्री विश्वकर्मा पूजा हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार ‘कन्या संक्रांति’ के दिन मनाई जाती है। इसके अलावा, यह त्योहार भारत और नेपाल में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारत के कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में, यह पूजा 17 या 18 सितंबर को होती है। खासतौर पर औद्योगिक और शिल्प से जुड़े कार्यस्थलों में यह उत्सव मनाया जाता है, जहाँ मशीनों और उपकरणों के साथ काम किया जाता है।

Vishwakarma Puja: भगवान विश्वकर्मा कौन है?

भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के निर्माता और देवताओं के मुख्य शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। वास्तव में, ऋग्वेद में उनका उल्लेख एक महान वास्तुकार के रूप में किया गया है। उन्होंने न केवल द्वारका नगरी का निर्माण किया, बल्कि पांडवों के लिए माया सभा और देवताओं के लिए अद्भुत हथियार भी बनाए। साथ ही, उन्हें यांत्रिकी और वास्तुकला के शास्त्र स्तपत्य वेद का जनक माना जाता है, जो इस क्षेत्र के विज्ञान को समर्पित है।

भगवान् विश्वकर्मा के पाँच पुत्र

भगवान विश्वकर्मा के पाँच पुत्र – मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और देवज्ञ – शिल्पकला और निर्माण कार्यों में निपुण थे। उनकी संतानों द्वारा यह पूजा विशेष रूप से मनाई जाती है। इसके अलावा, ये पीढ़ियों से अपनी कला और शिल्पकला में उत्कृष्टता प्रदर्शित करते हुए समाज के विकास में योगदान देते आ रहे हैं।

Vishwakarma Puja कैसे की जाती है

विश्वकर्मा पूजा के दिन कारखानों, घरों और कार्यस्थलों पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ ही, पूजा स्थल को रंगोली और फूलों से सजाया जाता है। इस पूजा के दौरान, जल से भरा कलश, अक्षत, सुपारी, चंदन, फूल, धूप, दीप, नारियल और मिठाई जैसी सामग्री का उपयोग किया जाता है।

इसके अलावा, मशीनों और उपकरणों की विशेष पूजा की जाती है। इसमें कार्यकर्ता भगवान विश्वकर्मा से सुरक्षित कार्यक्षेत्र, बेहतर भविष्य और सफलता की प्रार्थना करते हैं। इसी तरह, इस दिन कारीगर, अभियंता, यांत्रिकी और अन्य औद्योगिक श्रमिक अपने कार्यस्थलों पर भगवान से अपने उपकरणों और मशीनों के सुचारू रूप से चलने के लिए प्रार्थना करते हैं।

पूजा का महत्व

श्री विश्वकर्मा पूजा का खास महत्व औद्योगिक और निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों के लिए है। इस दिन, लोग अपने कार्यस्थलों में एकत्र होकर भगवान से समृद्धि, सफलता और उन्नति की प्रार्थना करते हैं। इसके बाद, पूजा के समापन पर प्रसाद का वितरण किया जाता है। अंत में, तीन दिन बाद भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा का विसर्जन बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाता है।

Vishwakarma Puja करने की समाग्री 

इस पूजा के दौरान निम्नलिखित सामग्रियों का उपयोग किया जाता है:

  1. जल से भरा कलश – पवित्रता और शुभता का प्रतीक।
  2. अक्षत (चावल) – पूजा में संकल्प और पूर्णता के लिए।
  3. माला और फूल – भगवान को अर्पित करने के लिए।
  4. धूप और दीपक – वातावरण को शुद्ध करने के लिए।
  5. सुपारी – सम्मान का प्रतीक।
  6. चंदन – शीतलता और पवित्रता के लिए।
  7. पीली सरसों – बुरी नजर से बचाव के लिए।
  8. तस्वीर – भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर।
  9. हल्दी और अष्टगंध – शुभता और पवित्रता के लिए।
  10. लौंग और मौली – आध्यात्मिक बल और सकारात्मक ऊर्जा के लिए।
  11. पीला कपड़ा – भगवान को चढ़ाने के लिए।
  12. नारियल – पूर्णता और समर्पण का प्रतीक।
  13. रंगोली या फूल – पूजा स्थल की सजावट के लिए।
  14. दीपक (घी या तेल) – प्रकाश और ज्ञान के प्रतीक।
  15. धूपबत्ती या अगरबत्ती – वातावरण को सुगंधित करने के लिए।
  16. फूल, पत्ते और फल – नैवेद्य और भगवान को अर्पित करने के लिए।
  17. प्रसाद (मिष्ठान) – पूजा के अंत में वितरण हेतु।
  18. आम की लकड़ी, दही और हवन सामग्री – यदि हवन किया जा रहा है।

अतः विश्वकर्मा पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के लिए आस्था और प्रेरणा का प्रतीक भी है, जो शिल्पकला, निर्माण और औद्योगिक कार्यों में लगे हुए हैं। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से हम अपने कौशल को न केवल बेहतर बना सकते हैं, बल्कि अपने काम में तरक्की भी कर सकते हैं।

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By Anjali Arya

मैंने बायोलॉजी से M.Sc कर रखा है और लिखने की शौक़ीन हूँ thenewsark.com से मैंने अपनी लिखने की शुरआत की है, मुझे महिलाओ से जुड़े हुए चीज़ो पर लिखना पसंद है.

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