Sambhal Jama MasjidSambhal Jama Masjid Image Credit: X

Sambhal Jama Masjid: जानें संभल का समृद्ध इतिहास, धार्मिक विवाद और विकास की संभावनाओं के बारे में। पढ़ें वीर गाथाएं और वर्तमान में उठ रहे सवाल। मुगल शासन, जामा मस्जिद के निर्माण और हालिया विवादों के बारे में। संभल के विकास और सांस्कृतिक महत्व की पूरी जानकारी।

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Sambhal Jama Masjid: प्रारंभिक इतिहास

संभल का इतिहास बहुत पुराना और समृद्ध है। प्राचीन काल में, पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में संभल उनकी राजधानी हुआ करता था। बाद में, जब राजधानी दिल्ली स्थानांतरित हो गई, तब भी संभल का सामरिक महत्व बना रहा। इसके अलावा, आल्हा और उदल जैसे महान योद्धा इस क्षेत्र की रक्षा में लगे रहे। लोक कथाओं में यह कहा जाता है कि उदल ने अपनी वीरता का परिचय देते हुए एक छलांग में दीवार पर चक्की का पाट टांग दिया था। आज भी, ग्रामीण इलाकों में उनके शौर्य की गाथाएँ गाई जाती हैं, जिससे उनकी वीरता की स्मृतियाँ जीवित हैं।

मुगल शासन और सामरिक महत्व

मध्यकाल में, जब मुगल शासन की शुरुआत हुई, तब संभल का महत्व और भी बढ़ गया। विशेष रूप से, इसकी स्थिति आगरा और दिल्ली के बीच होने के कारण यह एक महत्वपूर्ण सैन्य चौकी बन गया। बाबर के आक्रमण के समय यह अफगान सरदारों के नियंत्रण में था। हालांकि, बाबर ने इसे जीतकर अपने पुत्र हुमायूँ को सौंप दिया। लेकिन, बीमारी के कारण हुमायूँ को आगरा लौटना पड़ा। इसके बाद, शेरशाह सूरी ने इसे अपने दामाद मुबारिज़ ख़ाँ को दिया।

जामा मस्जिद का निर्माण

संभल की प्रसिद्ध जामा मस्जिद का निर्माण 1528 में सम्राट बाबर के आदेश पर मीर बेग द्वारा कराया गया था। वास्तव में, यह मस्जिद मुगल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे “बाबरी मस्जिद” के नाम से भी जाना जाता है। आज के समय में, यह स्थल न केवल एक धार्मिक स्थान है, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है।

Sambhal Jama Masjid का विवाद का इतिहास

हाल ही में, संभल की जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर विवाद शुरू हो गया। हिंदू पक्ष का दावा है कि, यह मस्जिद एक हिंदू मंदिर के खंडहरों पर बनाई गई है। इसके विपरीत, मुस्लिम पक्ष इस दावे को नकारते हुए 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का हवाला देता है, जिसमें धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने की बात कही गई है।

याचिका और सर्वेक्षण

इसके परिणामस्वरूप, अदालत के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मस्जिद का सर्वेक्षण किया। हिंदू पक्ष ने “बाबरनामा” और “आइन-ए-अकबरी” का हवाला देते हुए दावा किया कि मस्जिद का निर्माण हरिहर मंदिर को तोड़कर किया गया था। दूसरी ओर, मुस्लिम समुदाय ने इसे ऐतिहासिक तथ्य मानने से इनकार करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

हालिया हिंसा और विवाद

जैसे ही मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश जारी हुआ, तुरंत ही हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। इसके अलावा, पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए कई आरोपियों को गिरफ्तार किया। निस्संदेह, यह विवाद पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर चुका है और राजनीतिक बहस का एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।

Sambhal Jama Masjid का आधुनिक विकास

मेंथा उद्योग का विकास

संभल का मेंथा उद्योग राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। फिर भी, प्रशासन की अनदेखी और योजनाओं की कमी के कारण यह उद्योग अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुँच पाया है। यदि यहाँ एक केमिकल टेक्नोलॉजी संस्थान स्थापित किया जाए, तो न केवल स्थानीय उद्यमियों को लाभ मिलेगा, बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

परिवहन और बुनियादी ढांचे की स्थिति

अंग्रेजों ने लगभग 150 साल पहले संभल को मुरादाबाद से रेलवे के माध्यम से जोड़ा था। लेकिन तब से, इसमें कोई खास सुधार नहीं हुआ है। यदि गजरौला से जोड़ने की योजना बनाई जाए, तो दिल्ली की दूरी मात्र 120 किलोमीटर रह जाएगी। इसी तरह, चंदौसी से रेलवे कनेक्शन को आगरा और बरेली तक विस्तारित करने से आवागमन बेहद सुगम हो जाएगा।

संभल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व निस्संदेह बहुत बड़ा है। हालांकि, लगातार विवाद और बुनियादी सुविधाओं की कमी इसके विकास में बाधा डाल रहे हैं। इसलिए, संभल को उसके गौरवशाली अतीत के साथ एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाने के लिए प्रशासन और समुदायों को आपसी सहयोग और समन्वय के साथ कार्य करना होगा।

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By Aman Mark

Sports news writer and reviewer.