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Ram Madhav: कश्मीर में भाजपा की राजनीति के लिए भूख है।

Introduction: जम्मू-कश्मीर की सियासी फिजा में गर्माहट है, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) आमने-सामने हैं। अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से यहां की राजनीति में बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं। भाजपा के नेता राम माधव का कहना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 का इस्तेमाल कर घाटी के लोगों में भावनात्मक लहर पैदा करने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा अब खुद को यहां एक मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर रही है और लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ा रही है।

Ram Madhav: अनुच्छेद 370 क्या यह केवल एक चुनावी मुद्दा है?

राम माधव ने अपने बयान में कहा कि अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर जितनी बड़ी भावना का प्रदर्शन किया गया, वास्तविकता में वैसा कुछ नहीं था। उनके अनुसार, एनसी ने इसे एक चुनावी रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया, ताकि वह भाजपा के खिलाफ समर्थन जुटा सके। उन्होंने बताया कि चुनाव परिणामों के बाद एनसी नेता उमर अब्दुल्ला ने स्वयं यह माना कि अनुच्छेद 370 उनकी तत्काल प्राथमिकता नहीं है, जिससे यह साफ हो गया कि इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की गई थी।

भाजपा के नेता ने यह भी बताया कि इस चुनाव में पार्टी ने घाटी में पहले से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया। गुरेज जैसी सीट पर पार्टी केवल 1,000 वोटों से हार गई, जो भाजपा के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। उन्होंने कहा कि अब लोग भाजपा की बात सुनने के लिए तैयार हो रहे हैं, भले ही वोट में यह समर्थन पूरी तरह से न दिखा हो। राम माधव ने इसे पार्टी के लिए एक सकारात्मक संकेत माना और कहा कि आने वाले समय में भाजपा कश्मीर की राजनीति में और मजबूत हो सकती है।

Ram Madhav: राज्य के दर्जे की बहाली की मांग

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी की पुरानी मांग को दोहराते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो उनकी पहली कैबिनेट बैठक में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर प्रस्ताव पारित किया जाएगा। उमर अब्दुल्ला का मानना है कि राज्य का दर्जा बहाल करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों से किया गया वादा है।

हालांकि, अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर उमर अब्दुल्ला ने यथार्थवादी रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि भले ही इस समय इसे बहाल करना संभव न हो, लेकिन एनसी इस मुद्दे को छोड़ने वाली नहीं है। उनकी पार्टी इस पर चर्चा जारी रखेगी और भविष्य में किसी राष्ट्रीय सरकार के साथ इस पर बातचीत करने की कोशिश करेगी। उनका यह बयान दर्शाता है कि एनसी अनुच्छेद 370 के मुद्दे को एक लंबी लड़ाई के रूप में देख रही है।

Ram Madhav: विकास के एजेंडे पर भाजपा का जोर

भाजपा के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा विकास रहा। राम माधव ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में विकास के कई बड़े काम हुए हैं, जिनमें बुनियादी ढांचे का विकास, बिजली आपूर्ति में सुधार और सड़क निर्माण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इन विकास कार्यों को अपने चुनावी प्रचार का हिस्सा बनाया और इसका सकारात्मक प्रभाव जनता पर पड़ा है। लोगों ने विकास के मुद्दे पर भाजपा का समर्थन किया और इसे सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना।

राम माधव ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्णय जल्दबाजी में नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अन्य दलों के साथ परामर्श करके इस पर निर्णय लेगी, ताकि राज्य में शांति और स्थिरता बनी रहे। उनके अनुसार, अनुच्छेद 370 के हटने के बाद आतंकवाद और पत्थरबाजी जैसी समस्याओं में कमी आई है, और सरकार इस स्थिरता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

कांग्रेस और एनसी के लिए चुनौतियां

राम माधव ने कांग्रेस की स्थिति पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, जो पिछले कई दशकों से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में सक्रिय है, इस चुनाव में बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को एनसी की मदद से कुछ सीटें मिली हैं, लेकिन यह गठबंधन भी उसे ज्यादा लाभ नहीं दिला सका। वहीं, एनसी के सामने भी भाजपा का बढ़ता प्रभाव एक बड़ी चुनौती है, खासकर जम्मू क्षेत्र में, जहां भाजपा ने मजबूत उपस्थिति दर्ज की है।

Ram Madhav: भविष्य की दिशा

जम्मू-कश्मीर की राजनीति तेजी से बदल रही है। भाजपा जहां विकास और शांति को प्राथमिकता दे रही है, वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस राज्य के दर्जे की बहाली और अनुच्छेद 370 को लेकर अपनी मांगों को लेकर अडिग है। दोनों दल अपने-अपने एजेंडे पर जोर दे रहे हैं और जनता का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी जनता के बीच ज्यादा पैठ बनाती है और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में किसकी जीत होती है।

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One thought on “Ram Madhav: भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच सियासी संघर्ष।”
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