Nithari Hatyakand भारत के इतिहास के सबसे भयावह और दिल दहला देने वाले आपराधिक मामलों में से एक है। यह घटना उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर के सेक्टर 36 निठारी गाँव में 2005-2006 के दौरान हुई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस मामले में दर्जनों बच्चों और महिलाओं के गायब होने और उनकी निर्मम हत्या के बाद, इस कांड ने मीडिया, प्रशासन और समाज में भारी हलचल मचा दी। निठारी हत्याकांड ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए और समाज में व्याप्त बुराइयों को उजागर किया।
Nithari Hatyakand घटना का खुलासा
निठारी गांव नोएडा के सेक्टर 31 के पास स्थित है, जहां यह घटना हुई। प्रमुख आरोपी मोनिंदर सिंह पंधेर, एक धनी व्यापारी था, और उसके साथ काम करने वाला नौकर सुरेंद्र कोली था। इन दोनों पर बच्चों और महिलाओं के साथ अत्याचार और उनकी हत्या का गंभीर आरोप था। कोली ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह बच्चों को लालच देकर घर के अंदर लाता था और फिर उनकी हत्या कर देता था। कई पीड़ितों के शवों को काटकर नाले में फेंका गया, जबकि कुछ हिस्सों का उपयोग खाने और अन्य घृणित कामों के लिए किया गया। ऐसा बताया गया कि कम से कम 19 युवतियों और बच्चों के साथ बलात्कार किया गया, उनकी हत्या कर दी गई और उनके टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे।
Nithari Hatyakand की शुरुआत
साल 2005 के मध्य में निठारी गांव से बच्चों और महिलाओं के लापता होने की घटनाएं बढ़ने लगीं। परिवार के लोग इनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराते रहे, लेकिन पुलिस ने इसे सामान्य गायब होने की घटनाएं मानकर नजरअंदाज कर दिया। सबसे पहला अलार्म तब बजा, जब एक लड़की के पिता ने अपनी बेटी के लापता होने की रिपोर्ट बार-बार दर्ज कराई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। साल 2006 के अंत में एक बड़ा मोड़ तब आया, जब पुलिस ने स्थानीय निवासियों के दबाव में निठारी के डी-5 मकान के पास स्थित मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पीछे की जांच की। वहां, एक नाले से मानव अवशेष, जैसे हड्डियां और खोपड़ियां, बरामद हुईं। यह अवशेष उन बच्चों और महिलाओं के थे, जो गायब हुए थे। यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने मोनिंदर सिंह और सुरेंद्र कोली को हिरासत में लिया
सुरेंद्र कोली का कबूलनामा
Nithari Hatyakand जांच के दौरान, सुरेंद्र कोली ने अपने घिनौने अपराधों का कबूलनामा किया। उसने बताया कि वह बच्चों और महिलाओं को बहला-फुसलाकर मोनिंदर सिंह के घर लाता था। वहां, वह उनकी हत्या कर देता और फिर उनके शवों के साथ अमानवीय कृत्य करता था। कोली ने यह भी स्वीकार किया कि उसे मानसिक रूप से गंभीर विकृति थी, जिसके कारण उसने इस तरह के अपराध किए। उसने बताया कि उसके अंदर एक तरह की ‘भूख’ थी, जो उसे इस भयानक अपराध के लिए मजबूर करती थी।
मोनिंदर सिंह पंधेर की भूमिका
मोनिंदर सिंह पंधेर को शुरुआत में मुख्य आरोपी नहीं माना गया था, क्योंकि वह दावा करता था कि उसे इन घटनाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसने सुरेंद्र कोली पर सारा दोष मढ़ दिया। हालांकि, बाद में जांच के दौरान पता चला कि पंधेर की भूमिका भी संदिग्ध थी। कुछ मामलों में उसे सह-अपराधी माना गया, जबकि कुछ अन्य मामलों में उसे निर्दोष करार दिया गया
पुलिस की भूमिका और आलोचना
Nithari Hatyakand ने पुलिस और प्रशासन की विफलताओं को भी उजागर किया। स्थानीय निवासियों ने कई महीनों तक अपने बच्चों के गायब होने की शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जब बच्चों और महिलाओं के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज की जा रही थी, तब पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यहां तक कि जब अवशेष मिले, तब भी पुलिस की प्रारंभिक जांच ढिलाई भरी थी। इस लापरवाही के कारण कई और हत्याएं हो चुकी थीं। मीडिया और जनता ने पुलिस की इस लापरवाही पर सवाल खड़े किए, और सरकार को भी इस पर सफाई देनी पड़ी।
मीडिया और सामाजिक प्रभाव
Nithari Hatyakand ने देशभर में डर और गुस्से का माहौल पैदा कर दिया। मीडिया ने इस मामले को लगातार कवरेज दी, जिससे यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की। यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि हमारे समाज में बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है, और इस मामले ने समाज की संवेदनशीलता को झकझोर कर रख दिया।
अदालत का फैसला
सुरेंद्र कोली पर हत्या, बलात्कार और शवों के साथ अनैतिक कृत्य के कई आरोप लगे। 2010 में सुरेंद्र कोली को मौत की सजा सुनाई गई, जिसे बाद में उच्च अदालत ने भी बरकरार रखा। मोनिंदर सिंह पंधेर को कुछ मामलों में दोषी पाया गया और कुछ में बरी कर दिया गया। हालांकि, सुरेंद्र कोली के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई और उसे कई मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई।
Nithari Hatyakand का की पूरी घटना
Nithari Hatyakand की सीबीआई जांच और कानूनी कार्यवाही
Nithari Hatyakand के सार्वजनिक होने के बाद, इस मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपा गया। सीबीआई की जांच में पाया गया कि सुरिंदर कोली ने निठारी में 16 से अधिक हत्याएं की थीं। अदालत में कई मामलों की सुनवाई हुई और 2010 में, कोली को मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि, कोली की सजा पर कई बार पुनर्विचार किया गया, और मामला लंबी कानूनी प्रक्रियाओं में उलझा रहा। मोहनलाल पंधेर पर भी हत्याओं में शामिल होने का आरोप लगाया गया, लेकिन कोर्ट ने उसे कुछ मामलों में बरी कर दिया।
Nithari Hatyakand एक ऐसी दर्दनाक घटना है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस घटना ने समाज को चेतावनी दी कि मानसिक विकृति और अपराध की भूख कितनी खतरनाक हो सकती है। इस मामले ने यह भी दिखाया कि अगर पुलिस और प्रशासन समय पर कार्रवाई करें, तो शायद कई निर्दोष जिंदगियों को बचाया जा सकता है। यह घटना भारतीय न्याय प्रणाली और सामाजिक सुरक्षा के लिए एक सीख भी बनी।
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