Bombay High CourtBombay High Court and Justice Atul Chandukar and Kunal Kamra. image source:-X

Bombay High Court के जस्टिस अतुल चंदुरकर ने IT नियम 2021 के संशोधनों को असंवैधानिक ठहराया, कहा नागरिकों को केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, न कि सत्य का अधिकार।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Bombay High Court: IT नियम 2021 में संशोधन ‘असंवैधानिक’, ‘सत्य का अधिकार’ नहीं – जस्टिस अतुल चंदुरकर

बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल चंदुरकर ने सूचना और प्रौद्योगिकी (IT) नियम 2021 में किए गए संशोधनों को असंवैधानिक घोषित किया। उन्होंने कहा कि नागरिकों को संविधान के तहत केवल ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का अधिकार मिला है, न कि ‘सत्य का अधिकार’। यह फैसला कॉमेडियन कुणाल कामरा और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुनाया गया, जिसमें IT नियम 2021 के संशोधन, खासकर नियम 3(1)(बी)(V), को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति अतुल चंदुरकर का ऐतिहासिक निर्णय

इस मामले पर शुरू में न्यायमूर्ति गौतम पटेल और डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने सुनवाई की थी, लेकिन उनके बीच मतभेद के कारण मामला जस्टिस चंदुरकर को सौंपा गया। अपने विस्तृत 99 पन्नों के फैसले में, जस्टिस चंदुरकर ने जस्टिस पटेल के दृष्टिकोण से सहमति जताई और कहा कि IT नियमों में संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(ए) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करते हैं।

Bombay High Court: ‘सत्य का अधिकार’ नहीं, केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

जस्टिस चंदुरकर ने कहा कि नागरिकों के पास संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन यह ‘सत्य का अधिकार’ नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह राज्य की जिम्मेदारी नहीं है कि वह यह सुनिश्चित करे कि नागरिकों को केवल सत्यापित जानकारी ही मिले।

डिजिटल और प्रिंट मीडिया में भेदभाव

न्यायमूर्ति चंदुरकर ने कहा कि IT नियम 2021 का संशोधन डिजिटल मीडिया के साथ भेदभाव करता है। प्रिंट मीडिया में प्रकाशित जानकारी पर ये नियम लागू नहीं होते, जबकि वही जानकारी डिजिटल प्लेटफार्म पर होने पर इन नियमों के अधीन हो जाती है। इसे समानता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया गया।

Bombay High Court: केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल

न्यायमूर्ति चंदुरकर ने केंद्र सरकार की ‘फैक्ट चेकिंग यूनिट’ (FCU) की भूमिका पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने मामलों में ‘मध्यस्थ’ की भूमिका नहीं निभा सकती, क्योंकि यह प्रक्रिया असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि FCU के फैसलों को अदालत में चुनौती देना पर्याप्त सुरक्षा नहीं है।

न्यायमूर्ति चंदुरकर ने मामले को खंडपीठ के सामने भेजने का आदेश दिया, ताकि इससे जुड़े मुद्दों पर नए दृष्टिकोण के साथ निर्णय लिया जा सके।

यह भी पढ़े:-

Kerala Lottery Result: 70 लाख रुपये का पहला विजेता घोषित।

Supreme Court You tube Channel Hacked: अमेरिकन कंपनी के चलाये एड्स।

Sumi Borah in Online Trading Scam: 2200 करोड़ के स्कैम में असमिया एक्ट्रेस….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *