
Divya Deshmukh
Divya Deshmukh का जन्म 9 दिसंबर 2005 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ। उनके माता-पिता, डॉ. जितेंद्र और डॉ. नम्रता देशमुख, दोनों चिकित्सक हैं। उन्होंने पांच वर्ष की उम्र में चेस खेलना शुरू किया और जल्दी ही उनका रुचि खिल उठा। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने नागपुर की प्रसिद्ध CBSE स्कूल, भवन्स भगवानदास पुरोहित विद्यामंदिर से प्राप्त की। शतरंज में शानदार सफलता के बावजूद, उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। 2025 तक उन्होंने दूरी शिक्षा के माध्यम से खेल मनोविज्ञान, प्रदर्शन विज्ञान तथा डेटा एनालिटिक्स जैसे विषयों में ऑनलाइन अध्ययन किया। उनकी यह यात्रा संघर्ष, अनुशासन और प्रतिभा की मिसाल बन गई है।
दिव्या देशमुख की शतरंज यात्रा
19 वर्षीय नागपुर की Divya Deshmukh ने जुलाई 2025 में (FIDE Women’s World Cup) जीता, जिसमें उन्होंने कोनेरु हम्पी को टाईब्रेक में हराकर इतिहास रचा; यह पहली बार था जब किसी भारतीय महिला ने यह खिताब जीता और ग्रैंडमास्टर का अंतिम नॉर्म हासिल किया । इससे वे भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बनीं । इससे पहले उन्होंने जून 2024 में विश्व जूनियर U‑20 (लड़कियों) चैम्पियनशिप 10/11 अंक के साथ जीती , और सितंबर 2024 की शतरंज ओलंपियाड में टीम व व्यक्तिगत दोनों स्वर्ण पदक प्राप्त किए।
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दिव्या देशमुख का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन
विकिपीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक Divya Deshmukh ने National और International स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने कई नेशनल चैंपियनशिप जीती हैं और भारत का प्रतिनिधित्व विश्व स्तर की प्रतियोगिताओं में किया है। अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में उनकी आक्रामक शैली और रणनीतिक समझ ने उन्हें सफलता दिलाई। जुलाई 2025 तक उनकी FIDE रेटिंग 2431 है, जो उन्हें भारत की शीर्ष महिला शतरंज खिलाड़ियों में शामिल करती है। वे लगातार अपनी रेटिंग और खेल में सुधार कर रहीं हैं, जिससे उनका भविष्य उज्जवल दिखता है।
Did a video call and Congratulated our Champion Grandmaster Divya Deshmukh after her phenomenal victory at the 2025 FIDE Women’s World Cup! 🏆
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) July 28, 2025
At just 19, she has etched her name in history as India’s 88th Grandmaster and the first Indian woman to win this prestigious title.
From… pic.twitter.com/s95NB3fw72
दिव्या देशमुख को मिले पुरस्कार
Divya Deshmukh ने अपने शतरंज करियर में कई पुरस्कार और उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्हें 2024 में अंडर-20 वर्ल्ड जूनियर गर्ल्स चैंपियनशिप जीतने पर अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। इसके अलावा, उन्होंने 2022 में शतरंज ओलंपियाड में भारत के लिए व्यक्तिगत और टीम गोल्ड मेडल जीते। 2025 में उन्होंने फाइडे वुमेन्स वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया और भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बनीं। उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार मिल चुके हैं। दिव्या देशमुख आज भारत की प्रेरणादा
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यक युवा महिला शतरंज खिलाड़ियों में गिनी जाती हैं।

दिव्या देशमुख: एक प्रेरणास्त्रोत
Divya Deshmukh की प्रेरणा उनके माता-पिता रहे हैं, जो दोनों ही डॉक्टर हैं और उन्होंने दिव्या को हमेशा अपने जुनून का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बचपन से ही विश्वनाथन आनंद को अपना आदर्श माना और उनसे बहुत कुछ सीखा। दिव्या के लिए आनंद सिर्फ एक शतरंज खिलाड़ी नहीं, बल्कि अनुशासन, धैर्य और निरंतर मेहनत का प्रतीक हैं। उनकी सफलता के पीछे माता-पिता का समर्थन, कोच की मेहनत और खुद की लगन है। आज दिव्या खुद भी लाखों युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा और रोल मॉडल बन चुकी हैं, विशेषकर लड़कियों के लिए।
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ऋतिका सिंह The News Ark (thenewsark.com) की एक उत्साही पत्रकार हैं। उन्हें राजनीति, शिक्षा और समाज से जुड़ी खबरों में खास दिलचस्पी है। वह जमीनी मुद्दों को समझकर सरल और प्रभावशाली भाषा में पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास करती हैं।