भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने Chandrayaan-4 मिशन की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह से मिट्टी और चट्टानों के नमूने लाकर उन्हें पृथ्वी पर अध्ययन के लिए वापस लाना है। यह मिशन 2027 तक लॉन्च किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 18 सितंबर 2024 को इस मिशन को मंजूरी दी गई थी, जिसमें अनुमानित लागत ₹2,104.06 करोड़ रखी गई है।
Highlights
Chandrayaan-4 मिशन के उद्देश्य
Chandrayaan-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्रित करके उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है, ताकि उनका गहराई से अध्ययन किया जा सके। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- सुरक्षित लैंडिंग: चंद्रमा की सतह पर यान को सुरक्षित रूप से उतारना।
- नमूने इकट्ठा करना: मिट्टी और चट्टानों के नमूने लेना।
- चंद्रमा से प्रस्थान: नमूनों को इकट्ठा कर पृथ्वी की कक्षा में वापस लौटाना।
- डॉकिंग और अनडॉकिंग: यान को पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षाओं में जोड़ने और अलग करने की तकनीक का परीक्षण।
- पृथ्वी पर वापसी: नमूनों को सुरक्षित रूप से वापस पृथ्वी पर लाना।
मिशन की संरचना
Chandrayaan-4 को दो अलग-अलग रॉकेटों के ज़रिए दो चरणों में लॉन्च किया जाएगा। इसमें पांच प्रमुख मॉड्यूल शामिल होंगे, जो इस प्रकार हैं:
- प्रणोदन मॉड्यूल: यह यान को चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचाने का काम करेगा।
- लैंडर मॉड्यूल: यह मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा और वहां से नमूने इकट्ठा करेगा।
- एसेन्डर मॉड्यूल: चंद्रमा की सतह से उठकर नमूने को चंद्र कक्षा तक ले जाएगा।
- ट्रांसफर मॉड्यूल: नमूने को एसेन्डर से लेकर रिएंट्री मॉड्यूल में स्थानांतरित करेगा।
- रिएंट्री मॉड्यूल: यह मॉड्यूल नमूनों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी तक वापस लाएगा।
तकनीकी चुनौतियां और परीक्षण
Chandrayaan-4 के लिए कई तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। मिशन के दौरान चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग, नमूने इकट्ठा करना और चंद्रमा से पृथ्वी तक सुरक्षित वापसी प्रमुख चुनौतियां हैं। इसके अलावा, इसरो के लिए डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का प्रयोग करना एक नई चुनौती होगी। इस तकनीक का परीक्षण करने के लिए इसरो स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (Spadex) को लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
इस Chandrayaan-4 मिशन के लिए इसरो को अपने रॉकेट और यान की प्रणालियों को और भी सशक्त बनाना होगा, ताकि यह भारी मॉड्यूलों को चंद्रमा और पृथ्वी के बीच सही ढंग से संचालित कर सके।
Chandrayaan-4 का वैज्ञानिक महत्व
यह मिशन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से चंद्रमा की सतह की संरचना और खनिजों का अध्ययन किया जा सकेगा। यह मिशन भविष्य में चंद्रमा पर संभावित मानव मिशनों के लिए भी नई जानकारी देगा। इससे चंद्रमा की भू-गर्भीय गतिविधियों, जल की उपस्थिति और उसकी सतह पर संभावित जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों का पता चल सकेगा।
मानव मिशन की तैयारी
Chandrayaan-4 मिशन भारत के भविष्य के मानव मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण आधार तैयार करेगा। इसरो की योजना 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने की है। इस मिशन की सफलता भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक अग्रणी देश बनाएगी। इसके साथ ही, वीनस मिशन और गगनयान जैसे अन्य महत्वपूर्ण मिशनों की मंजूरी ने इसरो के अंतरिक्ष अनुसंधान के महत्व को और बढ़ाया है।
Chandrayaan-4 मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। इस मिशन की सफलता भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी और भारत को एक सशक्त अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करेगी। इसरो के इस महत्वाकांक्षी प्रयास से न केवल विज्ञान की दुनिया में नए आयाम खुलेंगे, बल्कि भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में एक अग्रणी स्थान दिलाने में भी मदद मिलेगी।
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