Summer OlympicSummer Olympic

Summer Olympic: ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल, जिसे समर ओलंपिक या सिर्फ ओलंपिक भी कहा जाता है, विश्व के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित खेल आयोजनों में से एक है। हर चार साल में आयोजित होने वाले ये खेल विभिन्न खेल विधाओं में दुनिया भर के खिलाड़ियों को एक साथ लाते हैं। ओलंपिक खेलों की शुरुआत प्राचीन ग्रीस में हुई थी और आधुनिक ओलंपिक खेलों की नींव 1896 में पड़ी।

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Summer Olympic का इतिहास

ओलंपिक खेलों का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन ग्रीस में ये खेल ओलंपिया नामक स्थान पर आयोजित किए जाते थे। इन खेलों की शुरुआत 776 ईसा पूर्व में हुई मानी जाती है। ये खेल ज़्यादातर धार्मिक त्योहारों के रूप में आयोजित किए जाते थे और ग्रीक देवताओं की पूजा के साथ जुड़ी हुई थी।

1896 में, पियरे डी कुबर्टिन के प्रयासों से आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत हुई। एथेंस, ग्रीस में आयोजित पहले आधुनिक ओलंपिक में 14 देशों के 241 खिलाड़ियों ने भाग लिया। तब से लेकर अब तक, ओलंपिक खेलों का स्वरूप और महत्त्व दोनों ही बढ़ते चले गए हैं।

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Summer Olympic की खेल विधाएं

ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में विभिन्न खेल विधाएं शामिल होती हैं। इनमें प्रमुख रूप से एथलेटिक्स, तैराकी, जिम्नास्टिक्स, मुक्केबाज़ी, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, फुटबॉल, टेनिस, और साइक्लिंग शामिल हैं। प्रत्येक खेल विधा में कई प्रतिस्पर्धाएं होती हैं, जो खिलाड़ियों के लिए स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने का अवसर प्रदान करती हैं।

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Summer Olympic की विशेषताएं

ओलंपिक खेलों की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. ओलंपिक मशाल रिले: ओलंपिक खेलों की शुरुआत ओलंपिक मशाल रिले से होती है। इस मशाल को ओलंपिया, ग्रीस से जलाया जाता है और विभिन्न देशों और शहरों से होकर गुजरती है, जिससे खेलों का माहौल बनता है।
  2. ओलंपिक उद्घाटन समारोह: ओलंपिक खेलों का उद्घाटन समारोह एक भव्य और रंगारंग आयोजन होता है, जिसमें खेल आयोजक देश की संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है। यह समारोह खिलाड़ियों की परेड और ओलंपिक शपथ ग्रहण के साथ समाप्त होता है।
  3. ओलंपिक आदर्श वाक्य: ओलंपिक खेलों का आदर्श वाक्य “सिटियस, आल्टियस, फोर्टियस” है, जिसका अर्थ है “तेज़, ऊँचाई, मज़बूती”। यह आदर्श वाक्य खिलाड़ियों को उनकी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है।

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Summer Olympic में भारतीय भागीदारी

भारत का ओलंपिक में इतिहास 1900 से शुरू होता है, जब नॉर्मन प्रिचार्ड ने दो रजत पदक जीते थे। इसके बाद से भारतीय एथलीट्स ने विभिन्न खेलों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। हॉकी में भारत ने कई स्वर्ण पदक जीते हैं, जबकि बैडमिंटन, बॉक्सिंग, कुश्ती, और एथलेटिक्स में भी भारतीय एथलीट्स ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

भारत का ओलंपिक खेलों में एक समृद्ध इतिहास है। 1920 में एंटवर्प, बेल्जियम में आयोजित ओलंपिक खेलों में भारत ने पहली बार हिस्सा लिया। तब से लेकर अब तक, भारतीय खिलाड़ियों ने विभिन्न खेल विधाओं में अपनी पहचान बनाई है।

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हॉकी में भारत का प्रदर्शन सबसे उल्लेखनीय रहा है। भारतीय हॉकी टीम ने 1928 से 1956 के बीच आठ स्वर्ण पदक जीते। इसके अलावा, अभिनव बिंद्रा ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीता, जो व्यक्तिगत खेलों में भारत का पहला स्वर्ण पदक था।

पीवी सिंधु, साक्षी मलिक, मीराबाई चानू, नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों ने हाल के वर्षों में ओलंपिक में पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है।

Summer Olympic खेलों का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

ओलंपिक खेल न केवल खेलकूद का महोत्सव हैं, बल्कि ये विभिन्न संस्कृतियों और समाजों को एक साथ लाने का माध्यम भी हैं। खेलों के माध्यम से विभिन्न देशों के बीच मैत्री और समझ बढ़ती है। ओलंपिक खेलों का आयोजन किसी भी देश के लिए गर्व और गौरव का विषय होता है, जो उसकी सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता को विश्व मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करता है।

ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों का महत्त्व केवल खेलकूद तक ही सीमित नहीं है। ये खेल अंतरराष्ट्रीय सहयोग, सांस्कृतिक विनिमय और विश्व शांति के प्रतीक हैं। हर चार साल में आयोजित होने वाले इन खेलों में भाग लेना प्रत्येक खिलाड़ी का सपना होता है। ओलंपिक खेलों का यह सफर खेल प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय और प्रेरणादायक अनुभव होता है

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By Anjali Arya

मैंने बायोलॉजी से M.Sc कर रखा है और लिखने की शौक़ीन हूँ thenewsark.com से मैंने अपनी लिखने की शुरआत की है, मुझे महिलाओ से जुड़े हुए चीज़ो पर लिखना पसंद है.

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