Nitish Kumar Reddy: संघर्ष, प्रेरणा और सफलता की कहानी

Nitish Kumar Reddy
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Nitish Kumar Reddy:  भारतीय बल्लेबाज “नीतीश कुमार रेड्डी ने मेलबर्न टेस्ट में पहला शतक लगाकर इतिहास रच दिया। पिता के संघर्ष और बेटे की मेहनत ने भारतीय क्रिकेट को एक नया सितारा दिया। पढ़ें उनकी प्रेरणादायक कहानी।”  खास बात यह है कि उन्होंने यह शतक तब लगाया जब टीम इंडिया दबाव में थी। उन्होंने 171 गेंदों में 10 चौकों और 1 छक्के की मदद से यह शतक बनाया।

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नीतीश के संघर्ष की कहानी

भारतीय उभरते हुए बल्लेबाज नीतीश कुमार रेड्डी आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता, मुत्याला रेड्डी, हिंदुस्तान जिंक कंपनी में काम करते थे। हालांकि, जब उन्हें लगा कि उनका ट्रांसफर नीतीश के क्रिकेट करियर को प्रभावित कर सकता है, तो उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ने का साहसिक निर्णय लिया। पिता ने अपने बेटे को बेहतर प्रशिक्षण और अवसर देने के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया। वह परिवार का पेट पालने के लिए छोटे-मोटे व्यवसाय करने लगे। इसके बावजूद, उन्हें रिश्तेदारों और समाज की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। लोग उनके फैसले को गलत ठहराते रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

Nitish Kumar Reddy: मेलबर्न टेस्ट में धमाकेदार प्रदर्शन

तीसरे दिन, जब नीतीश बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतरे, तो टीम इंडिया का स्कोर 6 विकेट पर 196 रन था। हालात मुश्किल थे, लेकिन उन्होंने संयम बनाए रखा। धीरे-धीरे, उन्होंने वाशिंगटन सुंदर के साथ 127 रनों की साझेदारी की और टीम को 350 रनों के पार पहुंचाया। अपने शानदार शतक के साथ, नीतीश ने इतिहास रच दिया। वह नंबर 8 पर बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया में शतक बनाने वाले पहले भारतीय बन गए। इससे पहले यह रिकॉर्ड अनिल कुंबले के नाम था, जिन्होंने 87 रन बनाए थे।

Nitish Kumar Reddy:  पिता के त्याग ने बदली जिंदगी

मुत्याला रेड्डी ने 2016 में अपनी नौकरी छोड़ दी, जिससे वह नीतीश के क्रिकेट करियर पर ध्यान केंद्रित कर सकें। हालांकि, इस फैसले के बाद उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कई बार उन्हें लोगों की बातें सुननी पड़ीं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। नीतीश ने बताया कि एक बार उन्होंने अपने पिता को रोते हुए देखा। यह पल उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया। उन्होंने ठान लिया कि वह अपने पिता के सपनों को साकार करेंगे।

घरेलू क्रिकेट में धमाल

नीतीश ने 17 साल की उम्र में आंध्र प्रदेश के लिए घरेलू क्रिकेट खेलना शुरू किया। उनकी प्रतिभा को एमएसके प्रसाद ने पहचाना और उन्हें आंध्रा क्रिकेट एसोसिएशन में जगह दिलाई।

आईपीएल में मौका

2024 में, उन्होंने सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से खेलते हुए 13 मैचों में 303 रन बनाए और 3 विकेट भी लिए। इस प्रदर्शन के बाद, उन्हें भारतीय टीम में जगह मिली और उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ टी20 में शानदार प्रदर्शन किया।

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में कमाल

मेलबर्न टेस्ट में उनके प्रदर्शन ने साबित कर दिया कि वह बड़े मैचों के खिलाड़ी हैं। उनकी पारी ने न केवल भारतीय टीम को मजबूती दी, बल्कि उनके पिता के त्याग को भी सार्थक बना दिया।

Nitish Kumar Reddy:  पिता की मेहनत का फल

नीतीश का शतक सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि उनके पिता के लिए भी खास था। जब नीतीश ने चौका मारकर शतक पूरा किया, तो उनके पिता ने स्टैंड्स से हाथ जोड़ते हुए आसमान की ओर देखा। यह क्षण उनके संघर्ष और त्याग की सबसे बड़ी जीत का प्रतीक था। इस शतक ने उन सभी आलोचकों को जवाब दिया, जो उनके पिता के फैसले पर सवाल उठाते थे। नीतीश कुमार रेड्डी की कहानी इस बात का उदाहरण है कि मेहनत और समर्पण से हर सपना पूरा किया जा सकता है। उनके पिता का त्याग, संघर्ष, और नीतीश का जुनून इस सफलता के पीछे की असली ताकत है।

नीतीश का शतक: 171 गेंदों में 10 चौके, 1 छक्का

रिकॉर्ड: नंबर 8 पर बल्लेबाजी करते हुए शतक जड़ने वाले पहले भारतीय

पिता का त्याग: बेटे के करियर के लिए नौकरी छोड़ी

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मैं केरल से बी.टेक स्नातक हूं और खेलों पर ब्लॉग लिखता हूं। मुझे खेलों की खबरें और रोचक जानकारी साझा करना पसंद है। मेरे ब्लॉग्स में आप खेलों से जुड़ी आसान और दिलचस्प बातें पढ़ सकते हैं।