AFG vs NZ: ग्रेटर नोएडा में आयोजन की विफलता और विवादों का सिलसिला अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक खेल परिसर में आयोजित एकमात्र टेस्ट मैच विवादों के कारण चर्चा में आ गया है।
AFG vs NZ: क्या स्टेडियम पर नहीं दिया ध्यान
एक मात्र टेस्ट मैच इस स्टेडियम की तैयारियों और मैदान की स्थिति को लेकर भारी मात्रा में लोगों के उठे सवालों के कारण गंभीर विवाद का केंद्र बन गया। खासकर तब, जब लगातार दो दिन खेल शुरू नहीं हो सका, और इसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत इस स्टेडियम की साख पर गहरे सवाल उठने लगे हैं।
AFG vs NZ: खराब मौसम नहीं, मैदान की तैयारियों ने किया मैच प्रभावित
अफगानिस्तान और न्यूज़लैंड मैच के पहले दिन, थोड़ी बारिश तो हुई थी, लेकिन यह इतनी भीषण नहीं थी कि मैदान को खेलने योग्य बनाने में कठिनाई हो। इसके बावजूद दूसरे दिन तो मौसम साफ था, फिर भी खेल शुरू नहीं हो सका। इसकी मुख्य वजह मैदान को सुखाने में मैदानकर्मियों की विफलता थी। यहां तक कि जब स्टेडियम में खेले जाने वाले मैच के लिए आवश्यक तकनीकी उपकरण और संसाधन उपलब्ध नहीं थे, तब मैदानकर्मियों ने कुछ असामान्य उपाय किए, जिनमें विवाह समारोहों में इस्तेमाल किए जाने वाले पारंपरिक शामियाने, इलेक्ट्रिक पंखे, और सूखी घास का उपयोग शामिल था। और इन असामान्य उपायों के बावजूद मैदान को खेलने योग्य नहीं बनाया जा सका। इस स्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि स्टेडियम में सुविधाओं की भारी कमी है।
Afg vs NZ: बीसीसीआई के विकल्प और एसीबी का चयन:
अफगानिस्तान और न्यूज़लैंड के बिच होने वाले इस टेस्ट मैच में रणनीतिक चूक अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) ने इस मैच के आयोजन के लिए बीसीसीआई से अन्य स्थानों की मांग की थी, लेकिन बीसीसीआई ने अपनी टी20 लीग मैचों के कारण लखनऊ और देहरादून के स्टेडियमों को मैच के लिए उपलब्ध नहीं कराया। इसके बजाय, बीसीसीआई ने एसीबी को कानपुर, बेंगलुरु, और ग्रेटर नोएडा के स्टेडियमों में से एक का चयन करने का विकल्प दिया। ACB ने लॉजिस्टिक कारणों के चलते ग्रेटर नोएडा को चुना। इसके पीछे एक प्रमुख कारण था काबुल से दिल्ली की सीधी उड़ानों की उपलब्धता और स्टेडियम की दिल्ली के करीब स्थित होने के कारण लॉजिस्टिक सुविधाओं का आसान होना। लेकिन इस चयन में एक महत्वपूर्ण चूक हुई—स्टेडियम की सुविधाओं और उसकी क्षमता की जांच नहीं की गई, जिससे इस तरह की समस्याएं उत्पन्न हुईं।
AFG vs NZ: स्टेडियम की खराब व्यवस्थाएं
एसीबी और खिलाड़ियों में नाराजगी मैच के दौरान उत्पन्न हुई समस्याओं के चलते अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) की ओर से कड़ी नाराजगी सामने आई है। एसीबी के अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे भविष्य में इस स्टेडियम में कभी कोई मैच नहीं खेलेंगे। खिलाड़ियों की नाराजगी भी इस बात से साफ दिखी कि उन्हें मैच के आयोजन को लेकर जो आश्वासन दिया गया था, वह पूरा नहीं हुआ।इस पूरी घटना ने बीसीसीआई की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। बीसीसीआई ने इस स्टेडियम को मैच के आयोजन के लिए चुना, लेकिन इस निर्णय में जिन मानकों का पालन किया जाना चाहिए था, वे स्पष्ट रूप से नहीं किए गए।
AFG vs NZ: मैदान कर्मियों की क्षमता पर सवाल
मैच की शुरुआत से पहले ही स्पष्ट हो गया था कि ग्रेटर नोएडा स्टेडियम में मैदानकर्मियों की पर्याप्त संख्या नहीं थी और जो मौजूद थे, वे प्रशिक्षित नहीं थे। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने मैदान को तैयार करने के लिए केवल मजदूरों को ही नियुक्त किया था, जो कुशल नहीं थे।इस स्थिति को सुधारने के लिए यूपीसीए से दो सुपर सोपर मंगवाए गए थे, लेकिन वे भी प्रभावी नहीं साबित हुए। इन प्रयासों की विफलता ने स्टेडियम की तैयारियों और मैदानकर्मियों की कमी को उजागर कर दिया।
AFG vs NZ: क्या हो सकता है सुविधाओं में सुधार
AFG vs NZ: भविष्य के आयोजन के लिए सबक ग्रेटर नोएडा में अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच आयोजित यह टेस्ट मैच आयोजकों की विफलता और स्टेडियम की अपर्याप्त सुविधाओं के कारण एक विवादित घटना बन गया है। यह मामला न केवल अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के लिए, बल्कि बीसीसीआई के लिए भी एक गंभीर मुद्दा बन गया है। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के आयोजन के लिए केवल स्थान का चयन ही नहीं, बल्कि उस स्थान की तैयारी और सुविधाओं की गहन जांच भी जरूरी है।
ग्रेटर नोएडा स्टेडियम की इस विफलता ने यह संदेश दिया है कि ऐसे बड़े आयोजनों के लिए तैयारियों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। भविष्य में इस तरह की विफलताओं से बचने के लिए बेहतर योजना, प्रशिक्षित कर्मियों की नियुक्ति और आधुनिक तकनीकी संसाधनों का उचित उपयोग किया जाना चाहिए। यह घटना भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण सबक हो सकती है, जिसमें आयोजन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस रणनीति की आवश्यकता है।
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