
Justice BR Gavai
हमारे देश भारत की न्यायिक व्यवस्था में प्रत्येक नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति एक महत्वपूर्ण घटना होती है, जो न केवल न्यायपालिका की दिशा को आकार देती है, बल्कि समाज में समानता और न्याय के मूल्यों को भी मजबूत करती है।
इस बार, जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ( Justice BR Gavai) 14 मई 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं। यह दलित समुदाय से आने वाले जस्टिस गवई की यह उपलब्धि न केवल उनकी मेहनत और समर्पण, बल्कि सामाजिक समावेशन का भी प्रतीक है। आइए, आपको उनकी प्रेरणादायक यात्रा और उनके योगदान को करीब से जानें।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
Justice BR Gavai का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में एक साधारण दलित परिवार में हुआ। उनके पिता, रामकृष्ण सूर्यभान गवई, एक प्रतिष्ठित दलित नेता थे, जिन्होंने बिहार, सिक्किम, और केरल के राज्यपाल के साथ-साथ महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। जस्टिस गवई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा महाराष्ट्र में प्राप्त की और नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। उन्होंने संवैधानिक, सिविल, और सेवा मामलों में विशेषज्ञता प्राप्त की, जिसने उनके करियर की नींव रखी।
Justice BR Gavai के कानूनी करियर की शुरुआत
Justice BR Gavai ने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की और बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की। अपने शुरुआती दिनों में, उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता और न्यायाधीश राजेश भोसले के साथ काम किया। 1987 से 1990 तक उन्होंने संवैधानिक और प्रशासनिक कानून में गहरी समझ विकसित की। 1992 से 2000 तक, वे अमरावती और नागपुर नगर निगम के साथ-साथ अमरावती विश्वविद्यालय के लिए कानूनी सलाहकार रहे। इस दौरान, उन्होंने सरकारी वकील और लोक अभियोजक की भूमिका भी निभाई।
साल 2000 में, वे महाराष्ट्र सरकार के सहायक महाधिवक्ता बने। उनकी उत्कृष्ट कानूनी समझ और समर्पण के कारण, 14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 12 नवंबर 2005 को वे स्थायी न्यायाधीश बने और मुंबई, पणजी, नागपुर, और औरंगाबाद बेंच में अपनी सेवाएं दीं। उनके करियर का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव 24 मई 2019 को आया, जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया।
Justice BR Gavai के प्रमुख न्यायिक योगदान
जस्टिस गवई ने अपने करियर में कई ऐतिहासिक और समाज को प्रभावित करने वाले फैसलों में हिस्सा लिया। उनके कुछ महत्वपूर्ण फैसले इस प्रकार हैं:
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नोटबंदी (2016):
जस्टिस गवई उस सुप्रीम कोर्ट की पीठ का हिस्सा थे, जिसने 8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के निर्णय को वैध माना। -
अनुच्छेद 370:
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को संवैधानिक ठहराने वाली पांच जजों की पीठ में जस्टिस गवई शामिल थे। -
बुलडोजर कार्रवाई:
जस्टिस गवई ने बुलडोजर के माध्यम से अपराधियों या संदिग्धों के घरों को ध्वस्त करने की प्रथा को गैर-कानूनी और अनुचित ठहराया, इसे कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ बताया। -
चुनावी बॉन्ड:
राजनीतिक दलों के लिए इलेक्ट्रॉनिक बॉन्ड के उपयोग को रद्द करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले में जस्टिस गवई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। -
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट (उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे):
जस्टिस गवई उस संवैधानिक पीठ में थे, जिसने महाराष्ट्र के सियासी संकट पर फैसला सुनाया। उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के आदेश को गलत ठहराया, लेकिन उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के कारण उनकी सरकार को बहाल नहीं किया जा सका। -
पेगासस मामला:
जस्टिस गवई ने पेगासस जासूसी मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा और एक तकनीकी समिति गठित की, यह रेखांकित करते हुए कि निजता का अधिकार मौलिक है। -
मराठा आरक्षण:
मराठा आरक्षण मामले में, जस्टिस गवई ने 50% आरक्षण सीमा को पार करने को असंवैधानिक माना, लेकिन सामाजिक न्याय को संवैधानिक सीमाओं के दायरे में लागू करने पर जोर दिया।
दलित समुदाय के लिए प्रेरणा
Justice BR Gavai भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे, जो जस्टिस के.जी. बालकृष्णन के बाद इस पद पर आसीन होंगे। उनकी यह उपलब्धि दलित समुदाय के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा है, “झुग्गी-झोपड़ियों में पढ़ने वाला बच्चा भी सुप्रीम कोर्ट का जज बन सकता है।” यह कथन उनके विश्वास और सामाजिक समावेशन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति
Justice BR Gavai सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। जस्टिस खन्ना, जिनका कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त होगा, ने उनके नाम की सिफारिश की है। राष्ट्रपति भवन से मंजूरी मिलने पर, जस्टिस गवई 14 मई 2025 को मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करेंगे। उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक चलेगा। उनकी नियुक्ति उनके अनुभव, नेतृत्व, और सामाजिक प्रतिनिधित्व के आधार पर की गई है।
व्यक्तित्व और योगदान
Justice BR Gavai अपने सरल, विनम्र, और संवेदनशील स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। वे एक ऐसे न्यायाधीश हैं, जो कानून की गहराई को समझते हैं और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में न्याय को प्राथमिकता देते हैं। उनकी ईमानदारी और संवैधानिक मूल्यों के प्रति निष्ठा उन्हें न्यायपालिका में एक आदर्श बनाती है। वे समाज के कमजोर वर्गों के लिए न्याय के पक्षधर रहे हैं और दलित समुदाय के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने वाले प्रतीक हैं।
भविष्य की अपेक्षाएं
Justice BR Gavai के मुख्य न्यायाधीश बनने के साथ ही देश उनकी नेतृत्व क्षमता और फैसलों पर नजर रखेगा। उनसे उम्मीद है कि वे न्याय के नए मानक स्थापित करेंगे और संवैधानिक मूल्यों को और सशक्त करेंगे। उनका कार्यकाल भारत की न्यायिक व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय होगा।
Justice BR Gavai का मुख्य न्यायाधीश बनना भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। उनकी यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को सच करने का हौसला रखता है। उनकी नियुक्ति सामाजिक न्याय और संवैधानिक आदर्शों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।