Bangladesh CrisesBangladesh Crises

Bangladesh Crises: बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद से, देश ने विभिन्न राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखे हैं, जिनमें कई सैन्य तख्तापलट भी शामिल हैं। इन तख्तापलटों ने देश की राजनीतिक संरचना को गहराई से प्रभावित किया है और बांग्लादेश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर दीर्घकालिक प्रभाव डाला है। आइये  जानते है की कब- कब बांग्लादेश में राजनीत दिक्क़ते आयी है,

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1. स्वतंत्रता और प्रारंभिक अस्थिरता

1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, बांग्लादेश ने अपने गठन के प्रारंभिक वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता (Bangladesh Crises) का सामना किया। देश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता शामिल थे।

2. 1975 का तख्तापलट और शेख मुजीबुर रहमान की हत्या

Bangladesh Crises: 15 अगस्त 1975 को, बांग्लादेश की सेना के कुछ अधिकारियों ने तख्तापलट कर दिया और राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार के अधिकांश सदस्यों की हत्या कर दी। इस घटना ने बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति (Bangladesh Crises) को और अधिक अस्थिर कर दिया और देश में एक नए सैन्य शासन की स्थापना की।

3. खंदकार मोशताक अहमद का कार्यकाल

तख्तापलट के बाद, खंदकार मोशताक अहमद को राष्ट्रपति बनाया गया। हालांकि, उनका कार्यकाल अल्पकालिक रहा और उन्हें सेना के भीतर से ही विरोध का सामना करना पड़ा। उनके कार्यकाल में कई राजनीतिक बंदी बनाए गए और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया।

4. जनरल जियाउर रहमान का उदय

जियाउर रहमान, जो तख्तापलट के दौरान एक प्रमुख सैन्य अधिकारी थे, ने नवंबर 1975 में सत्ता संभाली। उनके शासनकाल में कई सुधार किए गए और उन्होंने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की स्थापना की। हालांकि, उनका शासन भी स्थिर नहीं रहा और उन्हें भी सैन्य विद्रोहों का सामना करना पड़ा।

5. 1981 का तख्तापलट और जियाउर रहमान की हत्या

30 मई 1981 को, जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई। उनकी हत्या के बाद देश में एक बार फिर से राजनीतिक अस्थिरता (Bangladesh Crises) फैल गई और सेना के भीतर सत्ता के लिए संघर्ष शुरू हो गया।

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6. हुसैन मोहम्मद इरशाद का शासनकाल

जियाउर रहमान की हत्या के बाद, जनरल हुसैन मोहम्मद इरशाद ने मार्च 1982 में एक और तख्तापलट किया और सत्ता पर कब्जा कर लिया। इरशाद के शासनकाल में भी बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता (Bangladesh Crises) जारी रही। इरशाद ने देश में कई आर्थिक सुधार किए, लेकिन उनके शासन में मानवाधिकार हनन और राजनीतिक दमन की घटनाएं भी बढ़ीं।

7. लोकतंत्र की बहाली

1990 में व्यापक जन विरोध और राजनीतिक दबाव के कारण इरशाद को इस्तीफा देना पड़ा और बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली हुई। इसके बाद से, बांग्लादेश ने कई लोकतांत्रिक चुनाव देखे हैं, हालांकि राजनीतिक स्थिरता (Bangladesh Crises) और सैन्य हस्तक्षेप के मुद्दे अभी भी देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

बांग्लादेश की राजनीतिक यात्रा तख्तापलट और सैन्य शासन के प्रभाव से अछूती नहीं रही है। देश की स्वतंत्रता के बाद से, तख्तापलट की घटनाओं ने बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा को गहराई से प्रभावित किया है। हालांकि, देश ने धीरे-धीरे लोकतंत्र की ओर वापसी की है और अब स्थिरता और विकास की ओर अग्रसर है।

पीएम पद से इस्तीफा दे कर भारत पहुची शेख हसीना

यह खबर बहुत महत्वपूर्ण और गंभीर है। बांग्लादेश में हो रहे राजनीतिक उथल-पुथल (Bangladesh Crises) से देश में स्थिरता पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। शेख हसीना का इस्तीफा और सेना द्वारा नियंत्रण अपने हाथ में लेना एक बड़ा कदम है। इसके साथ ही, राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा सैन्य समर्थित कार्यवाहक सरकार के गठन पर चर्चा के लिए बैठक की अध्यक्षता करना स्थिति को और भी जटिल बना सकता है।

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लंदन जा सकतीं हैं शेख हसीना

बांग्लादेश में चल रही राजनीतिक घटनाओं (Bangladesh Crises) का प्रभाव न केवल देश पर, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर भी पड़ेगा। शेख हसीना का लंदन जाने और राजनीतिक शरण मांगने की उम्मीद इस बात का संकेत है कि देश में राजनीतिक अस्थिरता कितनी बढ़ चुकी है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्थिति के बारे में अवगत कराना महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। शेख हसीना से मिलने या न मिलने का निर्णय भविष्य की कूटनीतिक रणनीतियों पर निर्भर करेगा।

पश्चिमी शक्तियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा शांति बनाए रखने का आह्वान एक सकारात्मक कदम है। संयुक्त राज्य अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस द्वारा हिंसा से बचने और लोकतांत्रिक परिवर्तन की अपील करना स्थिति को स्थिर करने में मदद कर सकता है। इस पूरी स्थिति पर करीबी नजर रखने की जरूरत है, क्योंकि यह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

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