भारत में Waqf Board का नाम आते ही सबसे पहले ज़ेहन में आता है धार्मिक संपत्ति और उसके विवाद। आये दिन कुछ न कुछ इसके बारे में सुनने को मिलता रहता है, अब खबर मिल रही है की केंद्र सरकार संसद में जल्द ही संसोधन बिल लेकर आ कर इसके कुछ नियमो को बदल सकती है। आइये जानते है क्या है Waqf Board, और क्या है, कैसे हुआ था इसका शुरआत और इसकी ताकते?
Waqf Board क्या है?
विकिपीडिया के मुताबिक वक्फ शब्द का अर्थ है ‘कारावास और निषेध’, या किसी चीज़ को रोकना या स्थिर रखना। इस्लामी कानून के अनुसार, एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ के रूप में दान कर दी जाती है , तो उसे बेचा, हस्तांतरित या उपहार के रूप में नहीं दिया जा सकता है। एक बार जब एक वाकिफ ने मौखिक रूप से या लिखित रूप से एक वक्फ संपत्ति की घोषणा की है, तो इसे कानूनी रूप से अल्लाह की संपत्ति के रूप में माना जाता है।
इसलाम में ब्याज पर कर्ज लेना या देना हराम माना जाता है। इस्लाम धर्म के मुताबिक हर मुसलमान अपने आय के एक अंग धर्मार्थ कार्यों के लिये देना होता है, जिस से वह असहाय लोगों के उद्धार के लिये इस्तेमाल किया जा सके।
1954 में Waqf Board का हुआ था गठन
1947 के विभाजन देश के विभाजन के बाद मानी जाती है जब देश से एक समुदाय के लाखों लोग पाकिस्तान चले गए थे। इस दौरान अधिकतर लोग अपनी अचल सम्पत्ति जिसमें घर और जमीनें प्रमुख थी- छोड़कर चले गये थे।सरकार द्वारा इस जमींन और संपत्तियों के नियमन हेतु ही Waqf Board का गठन किया गया था। भारत सरकार “Waqf Board अधिनियम,1954” “Waqf Board” का स्थापना 1964 में किया गया। विभाजन के बाद जो कोई भी सम्पत्ती लावारिस पड़ी थीं उन्हें “Waqf Board” को सौंप दी गई, जिसके कमाई से भारत में रह गये असहाय मुसलमानों का इस्लामिक रीति रिवाजों के मुताबिक उद्धार हो सके।
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Waqf Board धार्मिक दान है
किसी भी धार्मिक काम के लिए किया गया कोई भी दान होता है। यह दान पैसे, संपत्ति या काम का हो सकता है। कानूनी शब्दावली में इस्लाम को मानने वाले किसी व्यक्ति का धर्म के लिए किया गया किसी भी तरह का दान वक्फ कहलाता है। इस दान को धार्मिक और पवित्र माना जाता है। इसके अलावा अगर किसी संपत्ति को लंबे समय तक धर्म के काम में इस्तेमाल किया जा रहा है तो उसे भी वक्फ माना जा सकता है। वक्फ शब्द का इस्तेमाल अधिकतर इस्लाम से जुड़ी हुए शैक्षणिक संस्थान, कब्रिस्तान, मस्जिद और धर्मशालाओं के लिए भी किया जाता है। एक बार किसी संपत्ति को वक्फ कर देने के बाद उसे वापस नहीं लिया जा सकता है। एक गैर मुस्लिम भी वक्फ कर सकता है लेकिन उसकी इस्लाम में आस्था होना जरूरी है। साथ ही वक्फ करने का उद्देश्य भी इस्लामिक होना चाहिए।
Waqf Board का प्रबंधन और कार्य
सभी Waqf Board की निगरानी करने का काम केंद्रीय वक्फ परिषद का होता है। यह संस्था केंद्रीय सरकार ने वक्फ एक्ट 1954 के जरिए स्थापित की थी। इसका काम देशभर के Waqf Board की निगरानी करना होता है। परिषद के अध्यक्ष केंद्र सरकार में वक्फ मामलों के मंत्री होते हैं और इसमें 20 सदस्य हो सकते हैं। परिषद राज्य के वक्फों की भी मदद करता है। वक्फ एक्ट में 1995 में एक नियम और जोड़ा गया था और अब Waqf Board की निगरानी 1995 के कानून के तहत की जाती है। एक सर्वे कमिशनर वक्फ घोषित की गई सभी संपत्तियों की जांच करता है। वक्फ का काम देखने वाले व्यक्ति को मुतावली कहा जाता है।
Waqf Board का अधिकार और विवाद
Waqf Board के पास दी गई किसी भी संपत्ति पर कब्जा रखने या उसे किसी और को देने का अधिकार होता है। वक्फ को कोर्ट द्वारा समन किया जा सकता है। भारत में अधिकांश राज्यों के वक्फ बोर्ड हैं। State Waqf Board में एक चेयरमैन के साथ राज्य सरकार द्वारा मनोनीत कुछ सदस्य, मुस्लिम नेता और विधायक, राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य, स्कॉलर और एक लाख से ज्यादा वार्षिक आय वाले वक्फ के मुतावली शामिल होते हैं। वक्फ बोर्ड अपनी किसी भी संपत्ति को किसी और के नाम हस्तांतरित कर सकता है, इसके लिए वक्फ के दो तिहाई सदस्यों की सहमति होना जरूरी है। फतवा जारी करना वक्फ का काम नहीं होता है।
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Waqf Board की भूमिका और विवाद
Waqf Board एक संस्था के तौर पर पक्षकार हो सकता है लेकिन यह पक्षकार मुस्लिम समुदाय का नहीं माना जाता। वक्फ के अध्यक्ष या कोई सदस्य अगर अपनी तरफ से किसी अदालत में कोई केस करते हैं तो इसकी मुस्लिम समुदाय के लिए कोई बाध्यता नहीं होती। बोर्ड की इजाजत के बिना किसी भी सदस्य या अध्यक्ष बोर्ड की तरफ से कोई मुकदमा करना गैर कानूनी है। अयोध्या जमीन विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की सात याचिकाएं हैं। इनमें से छह याचिकाएं अलग-अलग व्यक्तियों ने और एक सुन्नी Waqf Board ने दाखिल की हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड की किसी भी याचिका को वापस लेने जैसा फैसला Waqf Board की वोटिंग में दो तिहाई के बहुमत के बाद ही लिया जा सकता है।
देश भर में कितनी है Waqf Board की संपत्ति
अल्पसंख्यक मंत्रालय के अनुसार पुरे देश में रेलवे और सेना का बाद सबसे ज्यादा सम्पति Waqf Board के पास है। Waqf Board के पास देशभर में 8,65,646 संपत्तियाँ पंजीकृत हैं। इनमें से 80 हजार से ज्यादा संपत्ति वक्फ के पास केवल बंगाल में हैं। इसके बाद पंजाब में Waqf Board के पास 70,994, तमिलनाडु में 65,945 और कर्नाटक में 61,195 संपत्तियाँ हैं। देश के अन्य राज्यों में भी इस संस्थान के पास बड़ी संख्या में संपत्तियाँ हैं।
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कानूनी वैधता पर सवाल
Waqf Boardकी संपत्तियों पर पिछले दिनों बहुत सवाल उठे। यूपी जैसे राज्यों में तो वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर जाँच के लिए राज्य सरकार जाँच के आदेश भी दे चुकी है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल Waqf Board को असंवैधानिक करार देने के लिए एक याचिका डाली गई थी। हालाँकि कोर्ट ने याचिका यह कहकर खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से प्रभावित नहीं हुए।
Waqf Board का प्रभाव
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मजहब के नाम पर शुरू हुई संस्था का प्रभाव इतना बढ़ चुका है कि वो देश के तीसरे सबसे बड़े जमींदार बन गए हैं। वक्फ बोर्ड के पास अकूत संपत्ति है और वे विभिन्न धार्मिक संपत्तियों से जुड़े कानूनी मामलों को संभालते हैं। Waqf Board की बढ़ती संपत्तियाँ और उनका प्रभाव कई सवाल खड़े करता है। लोकतांत्रिक देश में मजहब के आधार पर ऐसी संस्था और कानून बनाना कहाँ तक उचित है, यह एक विचारणीय मुद्दा है।
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