किश्तवाड़ की राजनीति में एक नया नाम चर्चा में है Shagun Parihar। उनकी कहानी एक बड़ी त्रासदी से शुरू होती है, जब 2018 में आतंकवादियों ने उनके पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार की हत्या कर दी। इस दुखद अनुभव ने उन्हें मजबूत बना दिया। अब सवाल यह है: क्या वह अपने दुख को शक्ति में बदलकर चुनावी राजनीति में सफल हो पाएंगी? Shagun Parihar ने अपने समुदाय के लिए सुरक्षा, विकास और शांति का संकल्प लिया है। क्या यह संकल्प उन्हें जीत दिला सकेगा? जैसे-जैसे चुनाव का दिन नजदीक आता है, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह आतंकवाद के खिलाफ नई आशा की किरण बनेंगी या इस संघर्ष में उन्हें भी हार का सामना करना पड़ेगा।
Highlights
Shagun Parihar का संघर्ष और साहस की प्रतीक
Shagun Parihar, किश्तवाड़ से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की उम्मीदवार हैं। उनका जीवन संघर्ष और साहस का प्रतीक है। उनके परिवार में आए इस दर्द ने न केवल उनके निजी जीवन को प्रभावित किया, बल्कि पूरे समुदाय को भी झकझोर कर रख दिया। शगुन ने इस दुख को अपनी ताकत बनाने का निर्णय लिया और राजनीति में कदम रखा, ताकि वह अपने समुदाय के उत्थान के लिए काम कर सकें।
परिवार का महत्व
Shagun Parihar का परिवार राजनीतिक पृष्ठभूमि से संबंधित है। उनके चाचा, अनिल परिहार, बीजेपी के नेता थे और समाज में सक्रिय भूमिका निभाते थे। इस राजनीतिक विरासत ने शगुन को प्रेरित किया, लेकिन आतंकवाद से मिली चोट ने उन्हें एक नई दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने महसूस किया कि पिता का साया किसी भी बेटी के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है और वह नहीं चाहतीं कि कोई और इस दर्द का सामना करे।
Shagun Parihar का राजनीति में कदम
जब बीजेपी ने उन्हें चुनावी टिकट दिया, तो यह उनके लिए एक भावनात्मक क्षण था। शगुन ने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं राजनीति में आऊंगी।” लेकिन उनके पिता और चाचा की हत्या ने उन्हें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी उम्मीदवारी को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बताया और कहा कि शगुन जैसी युवा नेता समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।
सुरक्षा पर ध्यान
Shagun Parihar का मुख्य मुद्दा सुरक्षा है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने बार-बार कहा है कि वह नहीं चाहतीं कि कोई और उनके परिवार जैसी दुखद घटना का सामना करे। उनका कहना है, “मेरा जहां उजाड़ दिया गया, मैं चाहती हूं कि हर बेटी के सिर पर उसके पिता का साया बना रहे।” यह उनके भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है और बताता है कि वह अपने समुदाय की सुरक्षा को कितनी गंभीरता से लेती हैं।
भविष्य की आशाएं
Shagun Parihar का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर में शांति, सुरक्षा और विकास लाना है। यह चुनाव उनके लिए खास है, क्योंकि यह अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहला विधानसभा चुनाव है। वह चाहती हैं कि लोग आतंकवाद से मुक्त और सुरक्षित जम्मू-कश्मीर में रहें। उनका मानना है कि यदि वह सफल होती हैं, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक नया अध्याय होगा।
समुदाय से जुड़ाव
Shagun Parihar अपने समुदाय से गहराई से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ संवाद स्थापित करने की कोशिश की है और उनकी समस्याओं को सुनने का प्रयास किया है। यह उनकी एक बड़ी ताकत है कि वे केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक साथी की तरह लोगों के साथ खड़ी हैं। वह चाहती हैं कि लोग अपनी समस्याओं को खुलकर साझा करें, ताकि वह उनके लिए सही निर्णय ले सकें।
Shagun Parihar की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना कैसे किया जाए और विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। उन्होंने अपने दुख को ताकत में बदला है और अब वह अपने समुदाय की आवाज बनने की कोशिश कर रही हैं। उनका संघर्ष और साहस यह दर्शाता है कि युवा नेता समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। शगुन परिहार एक उदाहरण हैं कि कैसे एक महिला न केवल अपने जीवन को बदल सकती है, बल्कि अपने समाज के लिए भी नई राह खोल सकती है।
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