
SC ST Reservation
SC ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने बहुमत से एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए राज्यों को अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार दिया है, जिससे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में इन समूहों के भीतर अधिक वंचित जातियों को आरक्षण का लाभ मिल सके। इस फैसले ने 2004 के ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए पांच जजों के उस निर्णय को पलट दिया है जिसमें कहा गया था कि SC ST Reservation: में उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय पीठ ने 6-1 के बहुमत से फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने इस फैसले से असहमति जताई। पीठ में अन्य जजों में न्यायमूर्ति बीआर गवई, विक्रम नाथ, पंकज मित्तल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे।
SC ST Reservation: फैसले के मुख्य बिंदु
- उप-वर्गीकरण की अनुमति: SC ST Reservation पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों और जनजातियों का उप-वर्गीकरण करने की अनुमति है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन समूहों के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ मिल सके।
- अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं: मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि उपवर्गों को सूची से बाहर नहीं रखा गया है।
- अनुच्छेद 15 और 16 में कोई रोक नहीं: सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 15 और 16 में ऐसा कुछ भी नहीं है जो राज्य को किसी जाति को उप-वर्गीकृत करने से रोकता हो।
- मानदंड और आंकड़े: अदालत ने यह भी कहा कि उप-वर्गीकरण का आधार मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों पर होना चाहिए और इसे सनक या राजनीतिक उद्देश्यों पर आधारित नहीं होना चाहिए।
- क्रीमी लेयर की पहचान: न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि राज्यों को SC और ST में क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिए और उन्हें आरक्षण के दायरे से बाहर करना चाहिए।
- ईवी चिन्नैया मामला खारिज: सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के ईवी चिन्नैया मामले के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि SC/ST का उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 341 के विपरीत है।
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SC ST Reservation: न्यायमूर्ति त्रिवेदी की असहमति
SC ST Reservation: न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने अपने असहमति वाले फैसले में कहा कि राज्य राष्ट्रपति की सूची में छेड़छाड़ नहीं कर सकते और यह शक्ति के दुरुपयोग के समान होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्यों की सकारात्मक कार्रवाई संवैधानिक दायरे में होनी चाहिए।
SC ST Reservation: वकीलों के तर्क
केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने उप-वर्गीकरण का समर्थन किया। उन्होंने तर्क दिया कि अनुच्छेद 341 केवल अनुसूचित जातियों की सूची तैयार करने से संबंधित है और यह राज्यों को आरक्षण लाभ प्रदान करने के लिए पिछड़ेपन के आधार पर अनुसूचित जातियों को उप-वर्गीकृत करने से नहीं रोकता है।
SC ST Reservation पर सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला राज्यों को SC/ST में उप-वर्गीकरण की अनुमति देता है, जिससे अधिक वंचित जातियों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। इस फैसले ने 2004 के ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए निर्णय को पलट दिया है और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
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