बिहार में जारी सियासी उठापुथल के बीच आज Nitish Kumar एक बार फिर नौवीं बार बिहार के मुखयमंत्री बनने जा रहे है। राजनीती में हर तरफ बिहार की ही चर्चा हो रहा है, इसी बीच आइये जानते है की Nitish Kumar के राज में कितना हुआ बिहार का विकास।
Highlights
Nitish Kumar
Nitish Kumar (जन्म 1 मार्च 1951, बख्तियारपुर, बिहार, भारत) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं और सम्प्रति बिहार के मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले उन्होंने 2005 से 2014 तक बिहार के मुख्यमंत्री और 2015 से 2017 में फिर मुखयमंत्री के रूप में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे कर JDU और कांग्रेस से मिलकर 28 जनवरी 2024 तक बिहार में सरकार चलाया और फिर दिया और एक बार फिर एनडीए से हाथ मिला लिया और अब नौवीं बार मुख्यमंत्री की शपत ले रहे है।
Nitish Kumar के राज में बिहार का हाल
बिहार को लगातार भारत में सबसे भ्रष्ट राज्य के रूप में स्थान दिया गया है। भारत भ्रष्टाचार सर्वेक्षण 2019 के अनुसार लगभग 190,000 प्रतिक्रियाओं की मांग करने वाले एक स्वतंत्र सर्वेक्षण से पता चला है कि बिहार जहां 75% नागरिकों ने अपना काम करवाने के लिए रिश्वत देने की बात स्वीकार की है।
इसमें से 50 प्रतिशत ने कई बार (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से) रिश्वत दी, जबकि 25 प्रतिशत ने एक या दो बार (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से) रिश्वत दी। बिहार में, 47% ने संपत्ति पंजीकरण और अन्य भूमि मुद्दों के लिए रिश्वत दी, जबकि 6% ने नगर निगम को भुगतान किया। सर्वेक्षण के अनुसार, 29% लोगों ने पुलिस को और 18% लोगों ने बिजली बोर्ड, परिवहन कार्यालय और कर कार्यालय जैसे अन्य लोगों को रिश्वत दी।
Nitish Kumar के राज में बना रिकॉर्ड
लाखो युवा बेरोजगारी के दौर से गुजर रहे थे लेकिन बिहार से उन्हें एक उम्मीद जागी और बिहार में Nitish Kumar के अगुवाई वाली सरकार ने 72 दिनों के भीतर 2.17 लाख युवाओं को रोजगार देकर देश में एक कीर्तिमान स्थापित किया।
Nitish Kumar के राज में बिहार में बदलाव
- 2004 में विकास की दर बहुत ही धीमी रही है, लेकिन पिछले कुछ साल तेजी से ग्रोथ हुई है।
- प्रति व्यक्ति आय (GSDP) 2005 में जहां 8773 था वही यह बढ़कर 2019 में 47541 हो गया। अगर महंगाई दर के हिसाब से देखे तो 2005 में 8773 रुपए आज के 40519 रुपए के बराबर है। इसका मतलब यह है की 16 सालों में लोगो की खरीदने की क्षमता में 7000 रुपए या करीब 15% की बढ़त हुई है जो हर साल 1% की दर से कम है।
- प्रति व्यक्ति आय एनएसडीपी (NSDP) के अनुसार 2005 में जहां ₹7,914 था वहीं यह बढ़कर 2016- 17 में 25,950 हो गया. इस तरह से ₹18,036 की वृद्धि हुई। अगर महंगाई दर के हिसाब से देखे तो 2005 में 7914 रुपए आज के 36000 रुपए के बराबर है। इसका मतलब 16 सालों में लोगो की खरीदने की क्षमता में 18000 रुपए या करीब 50% की कमी हुई है। इसका कारण ये है की चीजे महंगी होती है और आंकड़ों से ज्यादा ये मायने रखता है की आप क्या खरीद सकते है उन पैसों से।
- बिहार का गरीबी दर घटा है। 2004-05 में जहां यह 54.4 था वही यह घटकर वर्तमान में 33.74% हो गया। इस तरह से 20.6% की गिरावट दर्ज की गई है। हालाकि यह राष्ट्रीय दर से तीन गुण धीमें कम हुई है।
- बिहार के लोगों का मासिक, व्यय ग्रामीण इलाकों में 2005 में जहां ₹417 मात्र था वहीं यह वर्तमान में 1127 हो गया है। हालाकि यह देश में सबसे कम मासिक व्यय है, इस तरह से मासिक व्यय में ₹710 की वृद्धि हुई है। पर ये राष्ट्रीय दर से 5 गुना कम है। अगर महगाई के दर से देखे तो ग्रामीण इलाको की गरीबी और ज्यादा बढ़ी है। इसका सबसे बड़ा सबूत है की ज्यादा से ज्यादा लोग गांव में जमीनें बेचकर शहर का रुख कर रहे।
- बिहार के शहरी लोगों का मासिक खर्चा 2005 में ₹696 था जो वर्तमान में बढ़कर 1507 हो गया है। इस तरह से ₹811 लोग ज्यादा खर्च कर रहे हैं, पर अगर महंगाई के हिसाब से देखे तो मासिक कमाई 2005 से कम हो गई है।
- इज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी बिहार लगातार सुधार किया है। 2015 में बिहार का स्कोर 16.4 था वहीं वर्तमान में बढ़कर 81.91 हो गया है। इस तरह से 65.5 की वृद्धि हुई है।
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