Ninth Schedule: आरक्षण को लेकर बिहार में राजनीती गरमा गयी है। क्योकि जब बिहार में नीतीश और तेजस्वी मिल कर सरकार चला रहे थे। तब बिहार सरकार ने आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया था। लेकिन हाई कोर्ट के फैसले के कारण वह बिहार में लागू नहीं हो पाया था। लेकिन अब तेजस्वी यादव पुरे बिहार में इसको लेकर प्रदर्शन कर रहे है. और इस आरक्षण निति को सविंधान की नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule) में डालने की मांग कर रहे है. आइये जानते है क्या है ये संविधान की नौवीं सूचि? जिसमे तेजस्वी आरक्षण निति को डालने की मांग कर रहे है। जिसपे कोर्ट भी फैसले ने दे सकती।
Highlights
क्या है पूरा मामला
जब बिहार में नितीश और तेजस्वी गठबंधन की सरकार चल रहे थे। तब बिहार सरकार ने पिछड़े वर्ग, एससी और एसटी समाज के लोगों के लिए रोजगार और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया था। हालाँकि पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के आरक्षण बढ़ाने के फैसले को रद्द कर दिया था। फिर राज्य सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।
लेकिन वहां भी सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को बरक़रार रखा। और ये आरक्षण निति बुहार में लागू नहीं हो पायी। अब तो तेजस्वी यादव सरकार में नहीं है। लेकिन अब वह पुरे बिहार में प्रदर्शन कर रहे। और सरकार और केंद्र सरकार दे मांग कर रहे है की इस आरक्षण निति को संविधान की नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule) में डाला जाये। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि आरक्षण से संबंधित किसी भी नए कानून को कानूनी चुनौतियों से सुरक्षित रखा जा सके। और उसे न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित न किया जा सके।
Ninth Schedule क्या है?
नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule) भारतीय संविधान का एक हिस्सा है। 1951 में, भूमि सुधार और भूमि स्वामित्व से संबंधित कानूनों को चुनौती देने से बचाने के लिए प्रथम संविधान संशोधन किया गया, जिसमें नौवीं अनुसूची को संविधान में जोड़ा गया। जिसमें ऐसे कानूनों की सूची है जिन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
मुख्य बिंदु:
- नौवीं अनुसूची में ऐसे कानून शामिल हैं जिन्हें अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- इसे 1951 में जोड़ा गया था और इसमें अब तक 284 कानून शामिल हैं।
- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यदि कोई कानून संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है, तो उसे चुनौती दी जा सकती है।
Ninth Schedule का उद्देश्य
इस (Ninth Schedule) अनुसूची का मुख्य उद्देश्य कृषि सुधार और ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करने के लिए बनाए गए कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाना था। यह अनुच्छेद 31B के तहत बनाया गया, जो विशिष्ट कानूनों को सुरक्षा प्रदान करता है।
Ninth Schedule में कितने कानून शामिल हैं?
संविधान की नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule) में ऐसे कानूनों की सूची शामिल है। जिन्हें न्यायालयों में चुनौती नहीं दी जा सकती। इसे 1951 में संविधान के पहले संशोधन के जरिए जोड़ा गया था। ताकि कृषि सुधार और भूमि सुधार से संबंधित कानूनों को सुरक्षा दी जा सके। शुरुआत में, नौवीं अनुसूची में 13 कानून शामिल किए गए थे, लेकिन विभिन्न संशोधनों के बाद, अब इसमें 284 कानून शामिल हो चुके हैं।
Ninth Schedule में कानून डालने की प्रक्रिया
सरकार यदि किसी कानून को नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule) में शामिल करना चाहती है. तो उसे संविधान संशोधन के माध्यम से इसे लागू करना पड़ता है। यह कानून तब न्यायिक समीक्षा से बाहर हो जाता है, यानी कि कोई भी अदालत इसे मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर चुनौती नहीं दे सकती। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि, यदि ये कानून संविधान की मूल संरचना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, तो उन्हें चुनौती दी जा सकती है।
बिहार में आरक्षण के लिए मांग
इसीलिए बिहार में तेजस्वी यादव जातिगत सर्वेक्षण के आधार पर 65% आरक्षण की व्यवस्था को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे है। ताकि यह अदालते भी इस पर फैसले न दे सके और बार में ये जातिगत आरक्षण निति लागू हो सके।
संविधान की नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule) एक ऐसा प्रावधान है। जो सरकार को सामाजिक न्याय और सुधारों के लिए महत्वपूर्ण कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है। जबकि उन्हें न्यायिक चुनौतियों से भी सुरक्षित रखता है। हालांकि, इसे अनुचित ढंग से उपयोग करने पर यह मौलिक अधिकारों के हनन का कारण भी बन सकता है। इसलिए, नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule) में कानूनों को शामिल करने के फैसले को अत्यंत सावधानीपूर्वक लिया जाना चाहिए।
Bihar 2 lakh Scheme Apply Online: बिहार के गरीब परिवारों को मिलेगा 2-2 लाख, ऐसे करे आवेदन
8 बार के मुख्यमंत्री Nitish Kumar, कैसे शुरू हुआ इनका राजनितिक करियर?
RodBez: बिहार के रिक्शे वाले ने खड़ी कर दी 4 करोड़ की कंपनी
Bharat Ratna Karpoori Thakur: कौन है कर्पूरी ठाकुर जिनको भारत रत्न से नवाज़ा गया