Arvind Kejriwal Bail Hearing NewsArvind Kejriwal Bail Hearing News, IMAGE SOURCE:-X

Arvind Kejriwal Bail Hearing News: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब नीति घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जून 2024 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा की गई गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल लगभग छह महीने तक जेल में रहे। हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहले मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में मामला दर्ज किया था, जिसमें उन्हें पहले ही जमानत मिल गई थी। इसके बावजूद, CBI द्वारा की गई गिरफ्तारी ने केजरीवाल की कानूनी स्थिति को और जटिल बना दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उन्हें राहत दी है।

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Arvind Kejriwal Bail Hearing News: सुप्रीम कोर्ट ने दिया जमानत साथ ही चेतावनी।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा कि उनके खिलाफ लंबित मुकदमे का निपटारा जल्द संभव नहीं दिखता। न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ ने अलग-अलग फैसले दिए, लेकिन मुख्य बिंदु पर सहमति व्यक्त की कि मुख्यमंत्री को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है। इसके साथ ही, अदालत ने तीन अन्य प्रमुख नेताओं को भी इसी आधार पर जमानत दी, जिनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और तेलंगाना की नेता के कविता शामिल हैं।

इसके बावजूद, जमानत के साथ केजरीवाल पर कुछ सख्त शर्तें भी लगाई गई हैं। सबसे पहले, उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय जाने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, किसी भी सरकारी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से पहले उन्हें दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की स्वीकृति लेनी होगी। इसी तरह, उन्हें इस मामले से जुड़े किसी भी गवाह के संपर्क में नहीं आने और सार्वजनिक रूप से मामले पर कोई बयान देने की अनुमति नहीं दी गई है। जमानत के लिए, केजरीवाल को 50,000 रुपये का जमानत बॉन्ड और समान राशि की जमानत पेश करनी होगी।

Arvind Kejriwal Bail Hearing News: गिरफ्तारी को लेकर बढ़ रहे है विवाद ED पर ।

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तब हुई थी, जब वह ED की हिरासत में थे। यह गिरफ्तारी उनके वकीलों द्वारा “इंश्योरेंस अरेस्ट” के रूप में आलोचना का केंद्र बनी, क्योंकि ED द्वारा जमानत मिलने के कुछ ही दिन बाद CBI ने उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया था। केजरीवाल ने इस गिरफ्तारी को भी चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। CBI की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने यह तर्क दिया था कि केजरीवाल को पहले निचली अदालत में जमानत के लिए अपील करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने सीधे दिल्ली हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

Arvind Kejriwal Bail Hearing News: दिल्ली शराब घोटाला की झलक

यह मामला दिल्ली सरकार द्वारा 2021-22 में लाई गई नई शराब नीति से जुड़ा है। इस नीति का उद्देश्य राजधानी के शराब व्यवसाय को पुनर्जीवित करना और व्यापारियों के लिए एक बेहतर व्यवसायिक ढाँचा तैयार करना था। इस नई नीति के तहत, शराब दुकानों के लाइसेंस को बिक्री की मात्रा के बजाय लाइसेंस शुल्क के आधार पर जारी किया गया था। इसमें यह भी प्रावधान था कि दिल्ली में शराब की दुकानों को अधिक आधुनिक और ग्राहक-अनुकूल बनाया जाएगा, जिससे ग्राहकों को बेहतर खरीदारी का अनुभव मिले।

हालांकि, इस नीति पर विवाद तब खड़ा हुआ जब दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसमें अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए CBI जांच की मांग की। उपराज्यपाल ने आरोप लगाया कि इस नीति के तहत दिल्ली सरकार को भारी नुकसान हुआ है और इसके पीछे भ्रष्टाचार का मामला है। इसके बाद, CBI और ED दोनों ने मामले में जांच शुरू की।

ED ने आरोप लगाया कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस शराब नीति के बदले ₹100 करोड़ की रिश्वत प्राप्त की थी। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि इस पैसे का एक बड़ा हिस्सा गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के प्रचार में इस्तेमाल किया गया था। इस मामले में, मार्च 2024 में ED ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया और फिर जून में CBI ने भी उन्हें गिरफ्तार किया।

न्यायिक प्रक्रिया और भविष्य की चुनौतियाँ

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि इस मामले का निपटारा जल्दी नहीं होगा। अदालत ने कहा कि जब तक आरोप सिद्ध नहीं होते, किसी को जेल में रखना न्यायसंगत नहीं है। खासकर तब, जब जांच एजेंसियों के पास उनके खिलाफ प्रत्यक्ष सबूत नहीं हैं।

केजरीवाल की जमानत निस्संदेह उनके और उनकी पार्टी के लिए बड़ी राहत है। फिर भी, यह मामला अभी समाप्त नहीं हुआ है। आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार को इस मामले में आगे भी कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि CBI और ED दोनों अपनी जांच जारी रखेंगे।

इस फैसले के बाद दिल्ली की राजनीति में और तनाव उत्पन्न हो सकता है, विशेष रूप से तब जब केजरीवाल को अपने कार्यालय और सचिवालय से दूर रहने की शर्तों का पालन करना होगा। आखिरकार, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केजरीवाल और उनकी पार्टी इस मामले से कैसे निपटती है और क्या इसका दिल्ली की राजनीति पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा।

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