प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) हर साल 9 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय प्रवासियों को उनकी जड़ों से जोड़ने और भारत की स्थिति को मजबूत करने का एक अवसर है। इस दिन भारतीय प्रवासियों के योगदान को सम्मानित किया जाता है।
महात्मा गांधी और प्रवासी भारतीय दिवस का कनेक्शन
9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की वजह महात्मा गांधी से जुड़ी हुई है। 1915 में गांधी जी इसी दिन दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। उनका भारत आगमन स्वतंत्रता संग्राम में अहम था, इसलिए इस दिन को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में चुना गया। यह दिन प्रवासी भारतीयों के योगदान को मान्यता देने का प्रतीक है।
2003 में हुई शुरुआत
प्रवासी भारतीय दिवस की शुरुआत 2003 में हुई थी, जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे मनाने की घोषणा की थी। पहले सम्मेलन में भारतीय मूल के विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। यह सम्मेलन प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक कदम था।
भारत सरकार की पहल और योगदान
भारत सरकार प्रवासी भारतीयों से उम्मीद करती है कि वे अपने देश के विकास में योगदान दें। खासकर नवाचार, निवेश और प्रौद्योगिकी में उनकी भूमिका बढ़ाई जाए। इस बार सम्मेलन की थीम ‘विकसित भारत में प्रवासी समुदाय का योगदान’ रखी गई है, जिससे प्रवासी भारतीयों को यह समझने में मदद मिलेगी कि वे किस तरह अपने देश की तरक्की में योगदान कर सकते हैं।
वैश्विक प्रवासन रिपोर्ट में भारत का स्थान
संयुक्त राष्ट्र के इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय हैं। करीब 31.2 मिलियन भारतीय विदेशों में रहते हैं, जिनमें से 13.4 मिलियन प्रवासी भारतीय और 17.8 मिलियन अनिवासी भारतीय हैं। सबसे ज्यादा प्रवासी संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, सऊदी अरब और कुवैत में रहते हैं।
प्रवासी भारतीय दिवस भारत के प्रवासी नागरिकों का उत्सव है। यह दिन भारतीय प्रवासियों के योगदान को मान्यता देने के साथ-साथ भारत की स्थिति को और मजबूत करता है। महात्मा गांधी से जुड़ा यह दिन प्रवासी भारतीयों की भारत के लिए अहम भूमिका को दर्शाता है और उनकी संस्कृति, व्यापार, और विकास में योगदान को उजागर करता है।