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कुंभ मेले में साधु-संतों के 13 प्रमुख अखाड़े

कुंभ मेले में साधु-संतों के 13 प्रमुख अखाड़े

कुंभ मेले में साधु-संतों के 13 प्रमुख अखाड़े और उनकी खास बातें सरल भाषा में जानें।

कुंभ मेला, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र आयोजन है। यह हर 12 साल में चार पवित्र जगहों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में होता है। लाखों लोग और साधु-संत यहां गंगा, यमुना, शिप्रा और गोदावरी नदियों में स्नान करने आते हैं।

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कुंभ मेले की सबसे खास बात साधु-संतों के अखाड़े होते हैं। ये अखाड़े धर्म, योग और ध्यान के केंद्र हैं। भारत में कुल 13 प्रमुख अखाड़े हैं, और इनकी भूमिका कुंभ मेले में बहुत अहम होती है। हर अखाड़े की अपनी परंपरा और पहचान है। आइए, इन अखाड़ों और उनके महत्व को आसान भाषा में समझते हैं।

कुंभ मेला क्यों मनाया जाता है?

कुंभ मेला हिंदू धर्म की एक पुरानी परंपरा है। इसके पीछे समुद्र मंथन की कहानी है। ऐसा माना जाता है कि अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार जगहों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं। इसलिए, इन जगहों पर कुंभ मेला होता है।

लोग मानते हैं कि इन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का रास्ता खुलता है। साधु-संत और लाखों भक्त इसी विश्वास के साथ कुंभ मेले में आते हैं।

अखाड़े क्या होते हैं?

अखाड़े साधु-संतों के संगठन हैं। ये धार्मिक समूह योग, ध्यान और धर्म की शिक्षा देते हैं। अखाड़ों की शुरुआत 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी। उस समय इनका उद्देश्य हिंदू धर्म की रक्षा करना था।

अब ये अखाड़े समाज में शांति, एकता और धर्म का प्रचार करते हैं। इन अखाड़ों के साधु कुंभ मेले में शामिल होते हैं और पवित्र स्नान करते हैं।

13 प्रमुख अखाड़े और उनकी खास बातें

कुंभ मेले में 13 प्रमुख अखाड़े भाग लेते हैं। हर अखाड़ा अपने नियम और परंपराओं के लिए जाना जाता है।

श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी

यह अखाड़ा प्रयागराज में स्थित है। यह शिव भक्तों का बड़ा केंद्र है। यहां साधु भगवान महाकालेश्वर की पूजा करते हैं।

श्री पंच अटल अखाड़ा

वाराणसी में स्थित यह अखाड़ा ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य साधुओं को दीक्षा देता है। यह अनुशासन और नियमों के लिए प्रसिद्ध है।

श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी

यह अखाड़ा भी प्रयागराज में है। यह शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में काम करता है। यहां साधुओं को धर्म और वेदों की शिक्षा दी जाती है।

श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती

त्रंबकेश्वर, नासिक में स्थित इस अखाड़े में भगवान शिव की पूजा होती है।

श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा

यह सबसे बड़ा और सबसे पुराना अखाड़ा है। यहां नागा साधु दीक्षा लेते हैं। जूना अखाड़ा वाराणसी में स्थित है।

श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा

यह अखाड़ा भी वाराणसी में है। यहां साधु धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में भाग लेते हैं।

श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा

यह जूनागढ़ में स्थित है। यहां ब्रह्मचारी साधु दीक्षा लेते हैं।

श्री दिगम्बर अनी अखाड़ा

यह अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा है। यहां भगवान विष्णु की पूजा होती है।

श्री निर्वानी अनी अखाड़ा

यह अखाड़ा अयोध्या में है। यहां केवल पुरुष साधु दीक्षा लेते हैं।

श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा

वृंदावन में स्थित यह अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है।

श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा

यह प्रयागराज में है। इसका मुख्य उद्देश्य धर्म और समाज की सेवा करना है।

श्री जूना अखाड़ा

शिव संन्यासी परंपरा का यह प्रमुख केंद्र वाराणसी में है।

श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा

यह हरिद्वार में स्थित है। यह अखाड़ा नशा-मुक्त जीवन और धर्म के प्रचार के लिए प्रसिद्ध है।

अखाड़ों का उद्देश्य और काम

अखाड़ों का मुख्य उद्देश्य धर्म का प्रचार, आध्यात्मिक ज्ञान देना और समाज को सही रास्ता दिखाना है। ये साधु-संत गंगा को पवित्र रखने, योग और ध्यान की शिक्षा देने और धर्म की रक्षा करने का काम करते हैं।

आज के समय में अखाड़ों का महत्व

समय के साथ अखाड़ों की भूमिका बदल गई है। अब ये धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ समाज सेवा, पर्यावरण बचाने और लोगों को एकता का संदेश देने में भी काम करते हैं।

कुंभ मेले में अखाड़ों की उपस्थिति धर्म, परंपरा और सांस्कृतिक एकता का संदेश देती है। ये अखाड़े न केवल धर्म का प्रतीक हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का भी हिस्सा हैं।

FAQs

कुंभ मेले में कितने अखाड़े होते हैं?
कुंभ मेले में 13 प्रमुख अखाड़े भाग लेते हैं।

अखाड़ों की शुरुआत कब हुई थी?
अखाड़ों की शुरुआत 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी।

अखाड़ों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
अखाड़ों का मुख्य उद्देश्य धर्म का प्रचार करना, योग और ध्यान की शिक्षा देना और समाज को सही मार्ग दिखाना है।

जूना अखाड़ा किसके लिए प्रसिद्ध है?
जूना अखाड़ा नागा साधुओं और शिव भक्तों के लिए प्रसिद्ध है।

प्रयागराज में कौन-कौन से अखाड़े हैं?
प्रयागराज में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी और श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा स्थित हैं।

श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा कहां है?
श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा हरिद्वार में है।

कुंभ मेले में साधु-संतों के 13 प्रमुख अखाड़े भारतीय संस्कृति और धर्म का अहम हिस्सा हैं। इनकी परंपराएं और शिक्षाएं समाज को शांति और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। कुंभ मेले में इनकी भागीदारी न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।

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