Highlights
- Rashtriya Ekta Diwas: सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन का परिचय
- Diwali 2024 Date: किस दिन है दिवाली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? जानें सही तारीख
- Rashtriya Ekta Diwas: प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- Rashtriya Ekta Diwas: एक अद्वितीय योगदान
- Rashtriya Ekta Diwas: एकजुट भारत के शिल्पकार
- Rashtriya Ekta Diwas: राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत
- Rashtriya Ekta Diwas: सरदार पटेल का संविधान निर्माण में योगदान
- Rashtriya Ekta Diwas: रियासतों का एकीकरण: भारत की अखंडता की नींव
- Rashtriya Ekta Diwas: उद्देश्य और महत्व
- Rashtriya Ekta Diwas: स्वतंत्रता के सच्चे नायक
Rashtriya Ekta Diwas: सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन का परिचय
भारत के महान नेता सरदार वल्ल भभाई पटेल का जीवन देश की एकता और अखंडता को समर्पित था। उनका जन्म, शिक्षा, और मृत्यु उनके व्यक्तित्व को परिभाषित करते हैं। आइए, एक सारणी के माध्यम से उनके जीवन की मुख्य जानकारियों को समझें।
विवरण | जानकारी |
---|---|
जन्म | 31 अक्टूबर 1875, नाडियाड, गुजरात, भारत |
शिक्षा | वकालत की डिग्री, मिडल टेम्पल, इंग्लैंड |
प्रमुख उपाधि | भारत के लौह पुरुष |
महत्वपूर्ण योगदान | भारतीय रियासतों का एकीकरण और संविधान निर्माण में भूमिका |
मृत्यु | 15 दिसंबर 1950, बॉम्बे, भारत |
Diwali 2024 Date: किस दिन है दिवाली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? जानें सही तारीख
Rashtriya Ekta Diwas: प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। बचपन से ही दृढ़ निश्चयी और साहसी होने के कारण, पटेल ने आगे चलकर वकालत की पढ़ाई करने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने इंग्लैंड के मिडल टेम्पल से वकालत की डिग्री प्राप्त की। वकील बनने के बाद, उन्होंने देश के हित में अपने कार्यों की शुरुआत की। सरदार पटेल की विरासत को सम्मानित करने के लिए, 2018 में उनकी 143वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण किया। यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है, जिसकी ऊँचाई 182 मीटर है। यह न सिर्फ सरदार पटेल की महानता का प्रतीक है, बल्कि उनके विचारों और कार्यों की अनंत गहराई को भी दर्शाता है।
Rashtriya Ekta Diwas: एक अद्वितीय योगदान
स्वतंत्रता के बाद भारत 562 रियासतों में विभाजित था, और इन सभी को भारतीय संघ में मिलाना अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य था। सरदार पटेल ने अपने राजनीतिक कौशल और कूटनीति के माध्यम से इन रियासतों को सफलतापूर्वक भारतीय संघ में सम्मिलित किया। उनकी इस महान उपलब्धि के कारण उन्हें “भारत के लौह पुरुष” का खिताब मिला। सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर 1950 को हुआ। उन्होंने अपने जीवनकाल में देश को न केवल एकजुट किया, बल्कि भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी मृत्यु के बाद भी, उनके कार्य और आदर्श भारतीय समाज को प्रेरित करते हैं।
Rashtriya Ekta Diwas: एकजुट भारत के शिल्पकार
सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें “भारत के लौह पुरुष” के नाम से जाना जाता है, का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। स्वतंत्रता के बाद, जब देश 562 रियासतों में विभाजित था, तब पटेल ने अपनी कुशल कूटनीति और अद्वितीय नेतृत्व के जरिए इन रियासतों को भारतीय संघ में शामिल किया। यह कार्य जितना कठिन था, उतना ही ज़रूरी भी। उन्होंने भारत की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित की और राष्ट्र को विखंडन से बचाया। इसलिए, सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय, उनके योगदान के प्रति देश का सम्मान है। उनके द्वारा दिया गया नारा “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” आज भी हर भारतीय के दिलों में गूंजता है।
Rashtriya Ekta Diwas: राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत
2014 में, भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत की। यह दिवस देशवासियों को एकजुटता और अखंडता की भावना को फिर से जागृत करने का अवसर प्रदान करता है। खास बात यह है कि हर साल इस दिन ‘रन फॉर यूनिटी’ का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश के लोग एक साथ दौड़ में भाग लेकर एकता का संदेश देते हैं। इसके अतिरिक्त, सरकारी संस्थानों में राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाई जाती है। यह शपथ लोगों को यह याद दिलाती है कि हम सभी का कर्तव्य है कि हम देश की एकता और अखंडता को बनाए रखें और इसे मजबूत करने में अपना योगदान दें।
Rashtriya Ekta Diwas: सरदार पटेल का संविधान निर्माण में योगदान
सरदार पटेल ने न केवल भारत को एकजुट किया, बल्कि भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने संविधान सभा की मौलिक अधिकारों पर सलाहकार समिति, अल्पसंख्यकों पर समिति, और प्रांतीय संविधान समिति जैसी कई समितियों का नेतृत्व किया। इन समितियों के जरिए उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सभी नागरिकों के अधिकार संरक्षित रहें और देश में न्याय और समानता का बोलबाला हो। इसके साथ ही, उन्होंने अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना की, जिसके कारण उन्हें “भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत” के रूप में भी जाना जाता है। यह प्रणाली भारतीय प्रशासनिक सेवाओं का महत्वपूर्ण अंग बन गई और देश की प्रगति में अहम भूमिका निभा रही है।
Rashtriya Ekta Diwas: रियासतों का एकीकरण: भारत की अखंडता की नींव
आजादी के समय, भारत सैकड़ों रियासतों में बँटा हुआ था। इनमें से कई रियासतें भारत में शामिल होने के खिलाफ थीं। सरदार पटेल ने अपने कूटनीतिक कौशल और राजनीतिक दृढ़ता के बल पर इन सभी रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने का कार्य किया। उन्होंने त्रावणकोर, हैदराबाद, जूनागढ़, और भोपाल जैसी रियासतों को भारतीय संघ में शामिल किया और देश की अखंडता को बनाए रखा। उन्होंने जहाँ जरूरत पड़ी, वहाँ साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाई। उदाहरण के लिए, उन्होंने जूनागढ़ और हैदराबाद की रियासतों को बलपूर्वक भारतीय संघ में शामिल किया, ताकि देश का बिखराव रोका जा सके। उनके इन अटूट प्रयासों के कारण उन्हें “भारत के लौह पुरुष” के नाम से जाना जाता है।
Rashtriya Ekta Diwas: उद्देश्य और महत्व
मुख्य उद्देश्य देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना और इसे मजबूत करना है। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह हमें उन संघर्षों और बलिदानों की याद दिलाता है, जिन्होंने भारत को एकजुट किया। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि देश की सुरक्षा और एकता को बनाए रखने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में इस दिन प्रतिज्ञा ली जाती है कि हम सभी राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए समर्पित रहेंगे। इसके साथ ही, यह दिन युवाओं को सरदार पटेल के आदर्शों और विचारों से अवगत कराने का एक अच्छा माध्यम है।
Rashtriya Ekta Diwas: स्वतंत्रता के सच्चे नायक
सरदार वल्लभभाई पटेल के उन महान कार्यों की याद दिलाता है, जिन्होंने एकजुट भारत की नींव रखी। यह दिन न सिर्फ हमारी एकता की पुष्टि करता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि विविधता में एकता ही हमारे देश की असली ताकत है। इसलिए, राष्ट्रीय एकता दिवस को पूरे उत्साह और गर्व के साथ मनाना चाहिए ताकि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का संदेश आने वाली पीढ़ियों तक पहुँच सके। सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन देश की एकता और समर्पण का प्रतीक है। उनकी शिक्षा और उनके द्वारा किए गए योगदान ने भारत को एक मजबूत और अखंड राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। राष्ट्रीय एकता दिवस पर उनका स्मरण हमें यह सिखाता है कि विविधता में एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
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