Home » पौष पुत्रदा एकादशी 2025: जाने शुभ समय और व्रत करने की विधि, व्रत कथा और लाभ
पौष पुत्रदा एकादशी 2025

पौष पुत्रदा एकादशी 2025

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत हर साल पौष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत खास होता है क्योंकि इसे संतान प्राप्ति और परिवार की खुशी के लिए किया जाता है। इस बार यह एकादशी 10 जनवरी 2025, शुक्रवार को पड़ेगी। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। यह व्रत संतान सुख, मन की शांति और घर की खुशहाली देने वाला है।

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एकादशी तिथि और शुभ समय

  • तिथि शुरू: 9 जनवरी 2025, दोपहर 12:26 बजे
  • तिथि खत्म: 10 जनवरी 2025, सुबह 10:22 बजे
  • व्रत का दिन: उदयातिथि के अनुसार, 10 जनवरी को रखा जाएगा।

पुत्रदा एकादशी व्रत की विधि

  1. व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं।
  2. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
  3. पंचमुखी दीपक जलाकर इसे उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में रखें।
  4. व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
  5. विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप करें और संतान सुख की प्रार्थना करें।
  6. अगले दिन व्रत का पारण करें।

पंचमुखी दीपक का महत्व

पंचमुखी दीपक पांच तत्वों—पानी, हवा, आग, धरती और आकाश का प्रतीक है। इसे जलाने से:

  • घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • मन और शरीर का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  • परिवार में खुशी और समृद्धि आती है।
  • वास्तु दोष दूर होते हैं।
  • आर्थिक और काम से जुड़ी परेशानियां हल होती हैं।

पुत्रदा एकादशी की कहानी

पुरानी कथाओं के अनुसार, भद्रावती नाम के नगर में सुकेतुमान नाम के राजा का राज था। उनके कोई संतान नहीं थी, जिससे राजा और उनकी रानी शैव्या हमेशा दुखी रहते थे। राजा के पूर्वज भी यह सोचकर चिंतित रहते थे कि उनके बाद श्राद्ध और तर्पण कौन करेगा।

एक दिन राजा वन में चले गए और एक सरोवर के पास पहुंचे। वहां उन्हें मुनियों का आश्रम मिला। मुनियों ने राजा को पुत्रदा एकादशी का महत्व बताया और इस व्रत को करने की सलाह दी। राजा ने पूरी श्रद्धा से व्रत किया। इसके फलस्वरूप रानी गर्भवती हुईं और कुछ समय बाद एक तेजस्वी पुत्र का जन्म हुआ।

पुत्रदा एकादशी के लाभ

  • जिनके बच्चे नहीं हैं, उन्हें संतान सुख मिलता है।
  • घर में शांति और समृद्धि आती है।
  • मन और शरीर की परेशानियां दूर होती हैं।
  • वास्तु दोष और नकारात्मकता से छुटकारा मिलता है।

पूजा के समय जाप करने वाले मंत्र

  1. ॐ क्लीं गोपालवेषधराय वासुदेवाय हुं फट् स्वाहा।
  2. ॐ कृष्णाय विद्महे दामोदराय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
  3. ॐ शांताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने वाला है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन के सभी दुख और परेशानियां खत्म हो जाती हैं। इस व्रत को श्रद्धा और सही तरीके से करने से संतान सुख और परिवार की खुशहाली प्राप्त होती है।

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