
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कैसे होती है?
भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) का पद बहुत अहम होता है क्योंकि यह लोकसभा, विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव करवाने में बड़ी भूमिका निभाता है। हाल ही में ज्ञानेश कुमार को नया मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया है। वह 19 फरवरी से अपना काम संभालेंगे। इस बार उनकी नियुक्ति को लेकर विवाद भी हो रहा है क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इस लेख में हम आपको मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया को आसान भाषा में समझाएंगे।
कैसे तय होता है मुख्य चुनाव आयुक्त का नाम?
भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम, 2023” के तहत होती है। इस प्रक्रिया में दो समितियां शामिल होती हैं:
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खोज समिति (Search Committee):
- इस समिति का नेतृत्व कानून मंत्री करते हैं।
- यह पांच योग्य लोगों के नाम तय करती है।
- इन नामों को आगे चयन समिति को भेज दिया जाता है।
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चयन समिति (Selection Committee):
- इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
- इसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा चुने गए एक केंद्रीय मंत्री भी होते हैं।
- यह समिति खोज समिति द्वारा दिए गए पांच नामों में से एक को चुनती है।
- यह चाहें तो सूची के बाहर से भी किसी योग्य व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकती है।
अंतिम फैसला कौन करता है?
- जब चयन समिति किसी नाम को तय कर लेती है, तो उसे राष्ट्रपति को भेजा जाता है।
- राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद, नए मुख्य चुनाव आयुक्त को शपथ दिलाई जाती है।
- इसके बाद वह अपने पद पर काम करना शुरू कर देते हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल कितना होता है?
- मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह साल या 65 वर्ष की उम्र (जो पहले हो) तक होता है।
- उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के समान दर्जा और सुविधाएं मिलती हैं।
पहले कैसे होती थी नियुक्ति?
- पहले, प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करते थे।
- 2023 से पहले, नियुक्ति प्रक्रिया में तीन लोग शामिल होते थे:
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI)
- 2023 के नए कानून में CJI को इस प्रक्रिया से हटा दिया गया और उनकी जगह प्रधानमंत्री द्वारा चुने गए केंद्रीय मंत्री को शामिल कर दिया गया।
चुनाव आयोग में कितने लोग होते हैं?
- पहले चुनाव आयोग में सिर्फ एक चुनाव आयुक्त होता था।
- 1989 में इसे तीन सदस्यीय कर दिया गया।
- 1993 से इसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।
- आमतौर पर, मुख्य चुनाव आयुक्त एक वरिष्ठ IAS अधिकारी होते हैं।
नए CEC की नियुक्ति पर विवाद क्यों?
इस बार मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर विवाद इसलिए हो रहा है क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट 22 फरवरी को इस मामले की सुनवाई करने वाला है, तो सरकार को इतनी जल्दी फैसला नहीं लेना चाहिए था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले को नजरअंदाज किया है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में संतुलन बनाए रखने के लिए CJI को शामिल किया जाए। लेकिन 2023 के नए कानून में CJI को पूरी तरह हटा दिया गया।
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए बहुत जरूरी प्रक्रिया है। 2023 में नए कानून के आने से यह प्रक्रिया बदल गई है। इस बदलाव को लेकर कई राजनीतिक दल और संगठन असहमति जता रहे हैं। आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और भविष्य में नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव भी हो सकता है।
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