बॉलीवुड के जाने-माने फिल्म निर्माता, लेखक, कवि और पत्रकार प्रीतिश नंदी का 73 साल की उम्र में मुंबई में निधन हो गया। उनकी मृत्यु की खबर से फिल्म, साहित्य और पत्रकारिता से जुड़े लोग गहरे शोक में हैं।
प्रीतिश नंदी: एक बहुमुखी व्यक्तित्व
15 जनवरी 1951 को बिहार के भागलपुर में जन्मे नंदी का जीवन एक अद्वितीय यात्रा रहा। उनका बचपन कोलकाता में बीता, जहां उन्होंने ला मार्टिनियर कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज में पढ़ाई की। वे एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने साहित्य, पत्रकारिता, फिल्म निर्माण और सामाजिक कार्यों में अपनी पहचान बनाई।
साहित्य और कविताओं में योगदान
नंदी की कविताओं ने भारतीय साहित्य को एक नई ऊंचाई दी। उनकी पहली कविता संग्रह “ऑफ गॉड्स एंड ऑलिव्स” 1967 में प्रकाशित हुई। उन्होंने अंग्रेजी में 40 से अधिक कविता संग्रह लिखे। इसके साथ ही, उन्होंने बंगाली, उर्दू और पंजाबी कविताओं का अनुवाद कर भारतीय साहित्य को वैश्विक मंच तक पहुंचाया।
1977 में उन्हें साहित्य में योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। उनकी रचनाओं में ईशा उपनिषद का अनुवाद और कई शास्त्रीय कविताओं के अनुवाद शामिल हैं।
पत्रकारिता में सफर
नंदी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान बनाई। वे द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया और फिल्मफेयर जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं के संपादक रहे। 1993 में उन्होंने अपनी मीडिया कंपनी प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशंस लिमिटेड (पीएनसी) की स्थापना की। यह कंपनी फिल्म और टेलीविजन कार्यक्रमों के लिए मशहूर है।
प्रीतिश नंदी ने 1996 में भारत का पहला इंटरनेट कैफे भी शुरू किया, जो डिजिटल क्रांति की शुरुआत का प्रतीक बना।
फिल्म निर्माण में सफलता
प्रीतिश नंदी ने “सुर,” “कांटे,” “झनकार बीट्स,” “चमेली,” “हजारों ख्वाहिशें ऐसी” और “प्यार के साइड इफेक्ट्स” जैसी कई सफल फिल्मों का निर्माण किया। उनकी कंपनी ने लोकप्रिय वेब सीरीज़ फोर मोर शॉट्स प्लीज़! और मॉडर्न लव मुंबई का निर्माण भी किया, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गईं।
राजनीति और सामाजिक सेवा
1998 में नंदी ने शिवसेना के टिकट पर राज्यसभा के सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा। वे संसद की कई महत्वपूर्ण समितियों का हिस्सा रहे। उन्होंने भारत के पहले पशु अधिकार संगठन पीपल फॉर एनिमल्स की स्थापना की, जो आज भी पशु कल्याण के लिए काम कर रहा है।
व्यक्तिगत जीवन
नंदी के तीन बच्चे – रंगीता, इशिता और कुशन नंदी हैं। तीनों फिल्म निर्माण और रचनात्मक क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
अंतिम विदाई
नंदी के निधन से साहित्य और फिल्म जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। अभिनेता अनुपम खेर ने शोक जताते हुए लिखा, “प्रीतिश नंदी का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से बड़ा नुकसान है।”
प्रीतिश नंदी की यादें और विरासत
प्रीतिश नंदी अपनी कविताओं, फिल्मों और सामाजिक कार्यों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनका जीवन और कार्य हमें सिखाते हैं कि जुनून और मेहनत से हर क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है।
उनकी विरासत भारतीय कला, साहित्य और सिनेमा में हमेशा जीवित रहेगी।
प्रीतिश नंदी को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि।
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