Cyclone Dana: ओडिशा और बंगाल में चक्रवात ‘दाना’ की तबाही: तटीय क्षेत्रों में पेड़ उखड़े, मकान ध्वस्त, और भारी बारिश से फसलें जलमग्न। जानें चक्रवात के प्रभाव और राहत कार्यों के बारे में।
Cyclone Dana: ओडिशा और पश्चिम बंगाल में तूफान का भौकाल
गूगल ने 25 अक्टूबर को चक्रवाती तूफान ‘दाना’ के कहर पर ध्यान केंद्रित किया। इस भीषण चक्रवात ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटवर्ती इलाकों में जबरदस्त तबाही मचाई, जिससे बंगाल में एक व्यक्ति की जान चली गई। हालांकि, राहत की बात यह रही कि ‘अम्फान’ और ‘बुलबुल’ जैसे पिछले चक्रवातों के मुकाबले ‘दाना’ ने उतनी विनाशकारी मार नहीं की। फिर भी, इसके चलते कई तटबंध टूट गए, मूसलाधार बारिश हुई और संपत्ति को व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ।
Cyclone Dana: ‘दाना’ का असर
इस चक्रवात के कारण ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश और तीव्र हवाएं चलीं। इस दौरान, ओडिशा के केंद्रपाड़ा, भद्रक, पुरी, और भुवनेश्वर क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रभाव देखा गया। खासकर, मौसम विभाग ने पहले ही पूर्वी मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना के तटीय जिलों पर तूफान के गंभीर प्रभाव पड़ने की चेतावनी जारी की थी। इसके साथ ही, कोलकाता में भी बारिश और जलभराव की स्थिति देखी गई, जिससे सामान्य जीवन प्रभावित हुआ।
Cyclone Dana: कच्चे मकानों और किसानो का हुआ बुरा हाल
शुरुआती आकलन के अनुसार, पूर्वी मेदिनीपुर में लगभग 350-400 कच्चे मकान क्षतिग्रस्त हुए, 250 पेड़ उखड़ गए और बिजली के 175 खंभे गिर गए। इसके अलावा, तटीय क्षेत्रों में धान की फसल को भी गंभीर नुकसान पहुंचा, क्योंकि कई खेत जलमग्न हो गए। इस चक्रवात ने कृषि क्षेत्र पर विशेषकर चावल की खेती पर गहरा प्रभाव छोड़ा, जिससे किसानों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया।
Cyclone Dana: इसरो की निगरानी और प्रबंधन में सहयोग
इसी बीच, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपने उपग्रहों के माध्यम से इस चक्रवात पर लगातार नज़र बनाए रखी। इसरो के ईओएस-06 और इनसैट-3डीआर उपग्रहों ने 20 अक्टूबर से ही तूफान की स्थिति के बारे में वास्तविक समय के आंकड़े उपलब्ध कराए। इसके कारण आपदा प्रबंधन प्रयासों को मजबूत करने में मदद मिली। दरअसल, ईओएस-06 ने समुद्री हवाओं के पैटर्न की प्रारंभिक पहचान में सहायता की, जबकि इनसैट-3डीआर ने निरंतर क्लाउड डेटा प्रदान किया, जिससे अधिकारियों को स्थिति के अनुसार निर्णय लेने में आसानी हुई।
Cyclone Dana: लाखो लोगो को खतरों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया
इसके अतिरिक्त, लगभग 2 लाख 11 हजार 234 लोगों को संभावित खतरों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। पश्चिम बंगाल के राज्य सचिवालय- नवान्न से जारी रिपोर्ट के मुताबिक राहत और बचाव दलों को हाई अलर्ट पर रखा गया था। परिणामस्वरूप, प्रशासन ने बचे हुए समय का भरपूर उपयोग करते हुए लोगों को राहत कार्यों में सहूलियत दी। ओडिशा सरकार ने प्रभावित जिलों में हाई अलर्ट जारी करते हुए मछुआरों को अगले दो दिनों तक समुद्र में न जाने की सख्त चेतावनी दी। खास बात यह है कि सीएम मोहन चरण माझी ने स्थिति की बारीकी से निगरानी की और जनता को सुरक्षित रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए। इसके बावजूद, स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है।
Cyclone Dana: उत्तर प्रदेश में हल्की बारिश की संभावना
चक्रवात ‘दाना’ का प्रभाव न केवल तटीय इलाकों तक सीमित रहा, बल्कि उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में भी इसका हल्का असर देखने को मिला। मौसम विभाग के लखनऊ केंद्र के अनुसार, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, मऊ, बलिया, आजमगढ़, गाजीपुर, वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर, भदोही और प्रयागराज जिलों में हल्की बारिश होने का अनुमान है। इसके अतिरिक्त, इन क्षेत्रों में नमी युक्त हवाएं चल रही हैं, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। इसी बीच, मौसम विभाग ने जानकारी दी कि चक्रवात ‘दाना’ ओडिशा के पारादीप से करीब 50 किलोमीटर दूर और पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था। परिणामस्वरूप, प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों के लिए पहले से ही अपने दलों को तैनात कर दिया था, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में सुविधा रही।
Cyclone Dana: स्थिति और पुनर्वास प्रयास
शुक्रवार को सुबह साढ़े आठ बजे चक्रवात ‘दाना’ के तट पर पहुंचने की प्रक्रिया पूरी हुई। फिर भी, इस दौरान हवा की गति लगभग 110 किलोमीटर प्रति घंटा रही, जिससे कई इलाकों में भारी नुकसान हुआ। अंततः, चक्रवात के गुजरने के बाद भी प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी रखा, और पुनर्वास एवं मलबा हटाने के कार्यों को तुरंत शुरू किया। संक्षेप में, चक्रवात ‘दाना’ से ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लोगों को गंभीर क्षति का सामना करना पड़ा। इस आपदा ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि भारत के पूर्वी तट पर बसे लोग ऐसे तूफानों के प्रति कितने संवेदनशील हैं। इस आपदा ने तटबंधों, मकानों और खेती-बाड़ी को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया। अब उम्मीद की जा रही है कि इसरो के उपग्रहों से मिले आंकड़े और प्रशासन की तत्परता भविष्य में इस तरह की आपदाओं का सामना करने में सहायक सिद्ध होगी।
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