Tumbbad movie एक हॉरर,फैंटसी, खजाने कि खोज पर आधारित है, यह फ़िल्म फिर से 13 सितम्बर को सिनेमाघरो मे री-रिलीज़ कि जाएगी।

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Tumbbad Movie:- कैसे बनी थी इतनी अलग कहानी?

राही अनिल बर्वे ने 1993 में अपने एक मित्र द्वारा मराठी लेखक नारायण ध्रुप की एक कहानी सुनी थी। जिसके के बाद तुम्बाड की कहानी लिखने की शुरुआत की।

उन्होंने 1997 में, केवल 18 वर्ष की उम्र में, इसका पहला ड्राफ्ट लिखा। यह एक लंबी यात्रा थी, जिसमें 700 पन्नों का स्टोरीबोर्ड तैयार करने से लेकर फिल्म के तीन बार फ्लोर पर जाने तक की कहानी शामिल है।

Tumbbad movie poster
Tumbbad movie poster source :-X

इस फ़िल्म कि शूटिंग दो बार कि गयी, पहली बार फ़िल्म कि शूटिंग 2012 मे पूरी कि गयी लेकिन मेकर्स को इसमें कुछ कमी सी लगी. जिसके बाद फ़िल्म को फिर से लिखा गया और शूट किया गया।

अंततः यह Tumbbad Movie 2015 मे रिलीज़ किया गया। यह एक हॉरर फ़िल्म थी, जिसमे यात्रियों के यात्रा को दिखाया गया है।

2. Tumbbad Movie:- कितनी थी फ़िल्म कि बजट और स्टारकास्ट।

फिल्म की शूटिंग 2012 में शूट की गई, फ़िल्म सही ना होने के कारण फिल्म को दोबारा शूट किया गया।जैसा हमने पहले बताया, अंततः फिल्म 2015 में पूरी तरह तैयार हुई।

उस समय इस फिल्म को 50 मिलियन में तैयार की गई थी। आसान भाषा में बात करें तो इस फिल्म का बजट 5 करोड रुपए था। और Tumbbad Movie ने 13.57 करोड़ का बिजनेस करके हिट साबित हुई थी।

इस फिल्म को डायरेक्ट किया था ‘राही अनिल बर्वे ने’, अगर बात करें स्टार कास्ट के तो, इस फिल्म की मुख्य भूमिका में सोहम शाह नजर आए थे, जिन्होंने विनायक राव का किरदार निभाए था।

और बात करें अन्य किरदारो कि तो tumbbad movie मे ज्योति मालशे, धुंडीराज प्रभाकर, मोहम्मद समद, रोंजीनी चक्रवर्ती, हरीश खन्ना, पियूष कौशिक, रूद्र सोनी, अनीता दातेकेलकर, माधव हरिजोशी, अनिका राधाकृष्णन, हर्ष के, रचित जरौन, और दीपक दामले थे।

Tumbbad Movie कि सफलतायें क्या रही?

Tumbbad Movie का प्रीमियर 75वें वेनिस अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में हुआ, जहां यह फिल्म आलोचकों के सप्ताह खंड में प्रदर्शित होने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी।

इसके अलावा, फिल्म ने 2018 फैंटास्टिक फेस्ट, सिटजेस फिल्म फेस्टिवल, और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में भी धूम मचाई।

Tumbbad Movie को बहुत से पुरस्कारो से सम्मनित किया गया, और इस फ़िल्म को बहुत सारे माध्यम से प्रदर्शित किया गया। इसे २०१८ फैंटास्टिक फेस्ट , सिटजेस फिल्म फेस्टिवल , स्क्रीम फेस्ट हॉरर फिल्म फेस्टिवल मे दिखाया गया।

जिसके बाद एल गौना फिल्म फेस्टिवल , केरल के 23वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव , मोरबिडो फिल्म फेस्ट, ब्रुकलिन हॉरर फिल्म फेस्टिवल और निट्टे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाया गया था।

यह फ़िल्म केवल 5 करोड़ मे बनी थी और इस फ़िल्म ने 13.57 करोड़ कि करके दर्शकों को खूब एंटरटेनम किया, इस फ़िल्म के डायरेक्शन, साउंड इफेक्ट, विसुअल, स्टोरी को दर्शकों द्वारा खूब सराहना मिली।

Tumbbad movie कि कहानी।

तुम्बाड ने अपनी अनूठी कहानी, दृश्य शैली और छायांकन के लिए आलोचकों से व्यापक प्रशंसा प्राप्त की। इसकी कहानी सन 1900 के दौर से जुडी है,”Tumbbad” एक श्रापित गांव और वहां छुपे खजाने की कहानी है। जिसे विनायक राव ढूढ़ना चाहता है।

विनायक राव सरकार का नाजायज औलाद होता है, विनायक गांव के एक घर में रहता है, जहां उसके साथ उसका भाई, उसकी मां के और उसकी दादी रहती हैं।

दादी को हमेशा जंजीरों से बंद कर रखा जाता है और वह इस फिल्म में हमेशा रोटी और कराहते हुए नजर आती है।जिन्हें एक पौराणिक कथा के देवता से डरा कर हमेशा शांत किया जाता है।

विनायक राव की दादी जब भी चीखना और चिल्लाना शुरू करती है, तो उन्हें एक पौराणिक देवता “हस्तर” के नाम से डराया जाता है। दादी से सिर्फ एक वाक्य बोला जाता है,सो जाओ वरना “हस्तर” आ जायेगा। लाइन दादी के लिए मंत्र जैसी थी सुनते ही दादी शांत हो जाती थी।

“हस्तर” देवता के बारे में बताया जाता है कि यह देवता छुपे हुए खजाने की रक्षा करता था।लगातार होती बारिश और विचित्र पैलेस और दादी की मौजूदगी फिल्म को लगातार डरावनी बनाती है।

इसके बाद दिखाया गया कि किसी कारणवश पूरे परिवार को दादी को छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ता है। हालांकि विनायक राव खजाने की लालच के कारण जाना नहीं चाहता था

Tumbbad movie कि कहानी का अगला भाग।

गांव से जाने के बाद 15 साल बीत जाते हैं हालांकि उसके मन से खजाने का लालच नहीं गया था जिसके कारण वह 15 साल बाद वह आने पर मजबूर हो जाता है।

अब विनायक को दादी या किसी भी परिस्थिति से डर नहीं लगता, वह हमेशा सोचता रहता की खजाने पर उसी का हक है और वह उसे ढूंढना शुरू करता है। खजाना श्रापित होता है जो कोई उस खजाने को खोज कर संदूक को खोलेगा।

तो उसे एक कीमत चुकानी होगी वह कीमत बहुत बड़ी होती है, अंततः विनायक खजाने को ढूंढ लेता है जिसके बाद वह बेहद अहंकार, भ्रष्टाचार और दुर्व्यवहारिक जीवन जीने लगता है।

इस फिल्म को गांधी जी द्वारा कहे गए एक वाक्य पर आधारित किया गया है। गांधी जी ने कहा था कि ‘मानव जीवन बिताने के लिए पर्याप्त साधन है परंतु उसके लालच के लिए नहीं’।

अर्थात अगर मनुष्य सामान्य जीवन जीना चाहे तो साधन की कमी नहीं है,परंतु लालच भरा जीवन रहे तो उसके लिए कभी साधन पूरे नहीं होंगे।

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One thought on “Tumbbad Movie :- फिर से सिनेमा घरों मे….”

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