Sai Pallavi: साई पल्लवी का सीता का किरदार निभाना बना विवाद का कारण। जानिए, कैसे उनका पुराना बयान इस भूमिका पर असर डाल रहा है।
Highlights
Sai Pallavi: पीआर एजेंसी न रखने का साहसिक फैसला
साउथ फिल्म इंडस्ट्री की प्रसिद्ध अभिनेत्री साई पल्लवी अक्सर अपनी सादगी और अनूठे फैसलों के कारण चर्चा में रहती हैं। हाल ही में, उन्होंने पीआर एजेंसी न रखने के अपने निर्णय को लेकर कई बातें साझा कीं। साई पल्लवी ने बताया कि बॉलीवुड में उनकी एक महिला मित्र ने उन्हें सलाह दी कि उनकी ब्रांड वैल्यू और लोकप्रियता बढ़ाने के लिए पीआर एजेंसी का होना जरूरी है। इसके बावजूद, साई पल्लवी ने इस सलाह को नकार दिया। उन्होंने कहा कि वह अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को सीमित रखना चाहती हैं और अपने वास्तविक रूप में ही दर्शकों के सामने रहना पसंद करती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें लगता है कि बार-बार प्रचार से लोगों का ध्यान भटक सकता है और दर्शकों के बीच आकर्षण कम हो सकता है। साई पल्लवी ने कहा, “अगर मेरे बारे में लगातार बातें होती रहेंगी, तो लोगों को मुझसे ऊबन हो सकती है। मैं यह नहीं चाहती।” साई का यह बयान उनके फैंस के बीच चर्चा का विषय बन गया, जो उनकी सादगी और ईमानदारी के प्रशंसक हैं।
Sai Pallavi: क्या है विवादित बयान
हालांकि, साई पल्लवी की यह सादगी ही नहीं, बल्कि उनके पुराने बयानों ने भी उन्हें विवादों में घेर लिया है। उनका एक पुराना वीडियो 2022 का है, जिसमें उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान हिंसा और दोनों देशों के लोगों के दृष्टिकोण को लेकर चर्चा की थी। साई पल्लवी ने कहा कि जैसे भारत में लोग पाकिस्तान के प्रति एक विशेष दृष्टिकोण रखते हैं, वैसे ही पाकिस्तान में कुछ लोग भारतीय सेना को एक विशेष नजर से देखते हैं। हालांकि, उन्होंने अपनी बात स्पष्ट करते हुए यह भी कहा कि वह हिंसा का समर्थन नहीं करतीं और इसके बजाय दोनों पक्षों के बीच संवाद को बढ़ावा देती हैं।
फिर भी, इस बयान के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे भारतीय सेना के अपमान के रूप में लिया। कुछ लोगों का मानना है कि एक अभिनेत्री जो रामायण में सीता का किरदार निभाने जा रही है, उसके लिए ऐसा बयान देना विवादास्पद है। यह बयान सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया और कई यूजर्स ने साई पल्लवी पर तीखी आलोचना करते हुए उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाए।
Sai Pallavi: फैंस का समर्थन और निर्णय
दूसरी ओर, साई पल्लवी के फैंस ने इस बयान को उनके दृष्टिकोण का एक हिस्सा मानते हुए समर्थन किया। उन्होंने कहा कि साई पल्लवी हिंसा के किसी भी रूप को नकारती हैं और उनकी बात का गलत मतलब निकाला जा रहा है। एक फैन ने लिखा, वह बस दोनों पक्षों की धारणा को स्पष्ट कर रही थीं, उनका इरादा भारतीय सेना की छवि को धूमिल करने का नहीं था।
Sai Pallavi: ‘रामायण’ में माता सीता के किरदार
अब साई पल्लवी की आने वाली फिल्म ‘रामायण’ भी विवादों में घिर गई है। फिल्म में वह माता सीता का किरदार निभाने वाली हैं, लेकिन उनके पुराने बयान के कारण लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या एक ऐसी अभिनेत्री, जिसने भारतीय सेना पर विवादित टिप्पणी की है, उसे सीता का किरदार निभाने का हक है? कई लोगों ने यह तक कहा कि उन्हें यह भूमिका नहीं देनी चाहिए थी। हालांकि, फिल्म निर्माता और साई पल्लवी के प्रशंसकों का मानना है कि उनका बयान उनकी निजी राय का हिस्सा था और इससे उनके किरदार पर कोई असर नहीं पड़ता। फिर भी, यह मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा और फिल्म रिलीज़ से पहले ही यह सुर्खियों में आ गई है।
Sai Pallavi: करियर, और आने वाली फिल्मे
तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में जन्मी साई पल्लवी ने 2015 में मलयालम फिल्म ‘प्रेमम’ से डेब्यू किया था और इसके बाद वह एक स्टार बन गईं। उन्होंने तमिल, तेलुगु और मलयालम सिनेमा में कई हिट फिल्में दी हैं। उनकी ‘गार्गी’ फिल्म को दर्शकों ने खूब सराहा और उनके बेहतरीन अभिनय की जमकर तारीफ हुई। अब वह नितेश तिवारी की ‘रामायण’ में रणबीर कपूर के साथ सीता के किरदार में नजर आएंगी, और इसके साथ ही उनकी फिल्म ‘थंडेल’ भी रिलीज़ के लिए तैयार है। साई पल्लवी का हमेशा से यह मानना रहा है कि वह अपने अभिनय के दम पर लोगों के दिलों में जगह बनाना चाहती हैं, न कि किसी पीआर एजेंसी या विवादित बयानों के जरिये।
Sai Pallavi: सादगी ही असली पहचान है
अंततः, साई पल्लवी ने यह स्पष्ट किया कि वह प्रचार से दूर रहना और एक साधारण जीवन जीना पसंद करती हैं। उनकी सादगी और ईमानदारी ही उन्हें दूसरों से अलग बनाती है। वह मानती हैं कि प्रशंसक उन्हें उनके कार्यों से पहचानते हैं और वह इसी पहचान को बरकरार रखना चाहती हैं। इस लेख में साई पल्लवी के जीवन और करियर के बारे में अधिक जानकारी और उनके निर्णय के पीछे के कारणों पर विस्तार से चर्चा की गई है, ताकि पाठकों को उनके विचारों और दृष्टिकोण को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
यह भी पड़े:-
Thalapathy Vijay: विजय का पहला राजनीतिक सफर