Madhapar Village की जनसंख्या 92000 से अधिक लोग,और 7600 घर, लगभग 7000 करोड़ डिपाजिट , 17 बैंको मे और बन गया सबसे अमीर गांव।
Madhapar Village:- जाने क्या है इतिहास माधापुर गांव का ?
Madhapar Village जिसकी आबादी लगभग 92 हजार है भारत के गुजरात राज्य में कच्छ जिला के लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित है विकिपीडिया के अनुसार यह गांव मिस्रियों द्वारा निर्मित किया गया है कहा जाता है ब्राह्मी शताब्दी में 18 गांव का निर्माण किया गया था उन 18 गांव में से Madhapar village भी हैं।
कहा जाता है सदियों पहले धनेती नामक गांव से निकलकर अंजार और भुज के बीच में बस गए Madhapar माधा कांजी सोलंकी के नाम पर रखा गया माधा कांजी सोलंकी वंश के हेमराज दास के तीसरी पीढ़ी थे जो धनेती से Madhapar चले गए थे।
Madhapar को आज जूनावास के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ होता है पुराना निवास यहां के मिस्रियों ने जूनावास की स्थापना और गांव के बुनियादी ढांचे मंदिर और कच्छ के सभी वस्तु के निर्माण मे बहुत ज्यादा योगदान दिया।
1576 में पटेल कावी समुदाय आसपास के गांव में आकर बस गए और अब माधापार पर की आबादी बढ़ने लगी और सन 1857 के आसपास नया निवास शुरू हुआ तब तक माधॉपार की आबादी बहुत बढ़ चुकी थी और आसपास गांव में पटेल समुदाय के बसने से जनसंख्या में वृद्धि और तेजी से हुई।
सन 2001 में आए भूकंप से माधापार गांव में कुछ क्षति ज्यादा ना हुई परंतु मिस्रियों द्वारा निर्मित 100 साल पुराने कुछ वास्तु कला क्षतिग्रस्त हो गए यह भूकंप 26 जनवरी 2001 में आई थी।
सन 1884 में माधापार गांव में पहला सरकारी स्कूल स्थापित हुआ भीमजी देवजी राठौड़ ने सन 1900 में मधापार में पहली बार लड़कियों का विद्यालय स्थापित किया और पहले हाई स्कूल माधापार सरस्वती स्कूल 1968 में स्थापित किया गया था।
Madhapar Village:- कैसे बना एशिया का सबसे अमीर गांव ?
हम जब भी किसी गांव या कस्बे की बात सुनते हैं तो हमारे दिमाग में पतली गलियां,कच्चे मकान,जानवर, खेत खलिहान, अन्य चीज असुविधा जनक जैसी चीज सभी हमारे दिमाग में चलने लगती है, ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति हमारे भारत देश में बहुत ही खराब है।
भारत के गांव में दैनिक जीवन बहुत ही कठिन होता है क्योंकि पर्याप्त मात्रा में आज भी सुविधा बहुत कम है लेकिन माधापार गांव आपके दिमाग की कल्पनाओं को बदलकर रख देगा आईए जानते हैं इस गांव के बारे में।
Madhapar गांव के लोग लगभग 1200 परिवार से जाकर विदेशो में अच्छी कमाई कर भारत भेजते हैं यहां के लोग मध्य अफ्रीका, अमेरिका और लंदन समेत अन्य सभी देशों में निर्माण क्षेत्र में सक्रिय हैं जिसे हम सरलतम भाषा में कंस्ट्रक्शन भी कह सकते हैं अधिक से अधिक लोग बड़े-बड़े देशों में जाकर निर्माण कार्य करते हैं।
यहां के लोग विदेश में अपने कार्यों को लेकर सदैव सक्रिय रहते हैं और अधिक से अधिक पैसा अपने देश भेजते हैं Madhapar गांव में लगभग 17 बैंक है और उसमें डिपॉजिट लगभग 7000 करोड़ डिपाजिट है।
यहां पर सभी प्रकार की सुविधाएं मौजूद जैसे पानी बिजली सड़क पक्के घर अस्पताल डाकघर,बाजार समिति प्रमुख सुविधाएं मौजूद हैं, अगर आप Madhapar के ऊपर स्टडी करने जाएंगे तो अनगिनत रहस्यमई कहानियां आपको मिलेगी।
Madhapar Village:- आखिर क्या करते हैं माधापार के लोग ?
सन 1990 के दशक में जब तकनीक का ज़माना आया तो माधापार देश के सबसे पहले हाइटेक गांव की शक्ल ले चुका था। पूरे गुजरात ने ही पिछले दो दशक में ख़ूब विकास किया है, गुजरात के कच्छ जिले में स्थित मधापार नाम का यह गांव बैंक जमा के मामले में दुनिया के सबसे अमीर गांवों में से एक है।
कच्छ के मधापार के इन बैंकों के खाताधारक यूके, यूएसए, कनाडा समेत दुनिया के कई अन्य हिस्सों में रहते हैं। उन्होंने एक उदाहरण स्थापित किया है कि कैसे अपनी जड़ों से जुड़े रहना और उसे कभी नहीं भूलना, एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
सनातन ठाकोर मंदिर, महादेव मंदिर, बारला मंदिर और स्वामीनारायण मंदिर (1949) माधापार में हैं। सोलंकी , राठौड़ की कुलदेवी मोमाई माता के मंदिर भी यहां हैं।
इस गाँव मे 7600 घर है और अनुमानन ये कहा जाता है की इस गाँव के हर घर से लगभग 2 लोग विदेश मे रहते है सबसे पहले 1935 मे ही जब देश आज़ाद भी नहीं हुआ था उस समय भी madhapar से एक व्यक्ति साउथ अफ्रीका कमाने को गए।
तब से आज तक यह सिलसिला जारी है लोग आज भी विदेश में जाकर मोटी रकम कमा कर हमारे देश भारत में भेजते हैं, madhapar village के लोग आज भी साउथ अफ्रीका,इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका, सिंगापुर,यू ए इ, जैसी बड़े बड़े देशो से पैसा कमाते और अपने देश के बैंको मे सेव करना ज्यादा पसंद करए है।
बड़े से बड़े देशो मे रहने के बावजूद भी यहां के लोग अपने स्वदेश को नहीं भूलते साथ ही साथ अपने कल्चर को बनाये रखते है, अधिकतम लोग विदेशो मे निर्माण के कार्य करते है और व्यापार मे भी सम्लित है जो की गुजरात राज्य की शुरु से खासियत रही है।
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